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- कब है सावन प्रदोष
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हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार हैं जो शिव पूजा को समर्पित होते हैं लेकिन प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर माह में दो बार पड़ता हैं अभी सावन का महीना चल रहा हैं और इस माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सावन प्रदोष के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि शिव साधना के लिए उत्तम दिन माना जाता हैं।
इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा सावन प्रदोष व्रत की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
प्रदोष व्रत का मुहूर्त—
पंचांग के अनुसार सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 14 जुलाई को रात 7 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही हैं और 15 जुलाई को रात 8 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में प्रदोष व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा। इस दिन शिव पूजा के लिए रात 7 बजकर 21 मिनट से रात 9 बजकर 24 मिनट तक का समय शुभ रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि—
सावन प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर पूजन स्थल पर दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प करें। इसके बाद पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव की पूजा करें। भगवान का दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर भगवान को भांग, धतूरा, बेलपत्र पुष्प और नैवेद्य प्रभु को चढ़ाएं। इसके बाद धूप दीपक जलाकर व्रत कथा का पाठ करें। अंत में शिव की आरती जरूर करें।
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