धर्म-अध्यात्म

वास्तु अनुसार कैसा हो फर्श का रंग

Apurva Srivastav
2 Feb 2023 3:49 PM GMT
वास्तु अनुसार कैसा हो फर्श का रंग
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फर्श का रंग भी किसी वास्तुशास्त्र से पूछकर ही तय करें। किसी भी दिशा में गलत रंग के पत्थर का फर्श ना बनवाए।
घर का फर्श बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें किस तरह की टाइल्स लगाएं और किस रंग की लगाएं यह जरूरी है। ऐसी टाइल्स न लगाएं जो गर्मी के लिए तो उत्तम हो लेकिन ठंड में अत्यधिक ठंडी हो। फर्श वास्तु अनुसार कैसा हो फर्श का रंग होना चाहिए।
1. कैसी हो टाइल्स : हल्के पीले या सफेद रंग के संगमरमर का उपयोग श्रेष्ठ माना जाता है। संगमरमर नहीं लगा रहे हैं तो पीले, लाल, गेरुएं रंग की सेरेमिक, विनाइल और वुडन टाइल्स भी श्रेष्ठ है। कोटा स्टोन गर्मियों के लिए फायदेमंद है लेकिन ठंड और बारिश में यह नुकसानदायक ही सिद्ध होगा। इसी तरह टाइल्स भी सोच-समझकर ही लगाएं।
2. कैसा हो फर्श का रंग : फर्श का रंग भी किसी वास्तुशास्त्र से पूछकर ही तय करें। किसी भी दिशा में गलत रंग के पत्थर का फर्श ना बनवाए। उत्तर में काले, उत्तर-पूर्व में आसमानी, पूर्व में गहरे हरे, आग्नेय में बैंगनी, दक्षिण में लाल, नैऋत्य में गुलाबी, पश्चिम में सफेद और वायव्य में ग्रे रंग के फर्श होना चाहिए। यदि आप अलग अलग रंक के पत्थर नहीं लगवाना चाहते हैं तो आप सभी कमरों में गहरे हरे या फिर पीले रंग का फर्श लगवा सकते हैं, पीले में पिताम्बर उत्तम है।
3.कैसा हो कारपेट : हर रूप के लिए अलग-अलग रंगों का सुंदर सा करपेट लाएं और उसे बिछाएं। उस कारपेट की प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें।
4. नमक का पोछा लगाएं : सप्ताह में एक बार समुद्री नमक को पानी में घोलकर फर्श पर उसका पोछा लगाएं। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर हो जाएगी।
5. मांडना मांडे : घर के प्रत्येक रूप के मध्य में मांडना मांडे। घर के द्वार के बाहर रंगोली बनाए। रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं। इससे घर परिवार में मंगल रहता है।
6. टूटी फूटी ना हो टाइल्स : आपके घर में किसी कमरे, किचन या अन्य किसी स्थान की टाइल्स टूटी हुई है तो उसे जल्दी ठीक कराना चाहिए, क्योंकि टूटी टाइल भी वास्तुशास्त्र के हिसाब से ठीक नहीं मानी जाती।
7. फर्श का ढाल हो उत्तर में : मकान के फर्श का ढाल पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए। इसमें भी उत्तर दिशा उत्तम है।
8. अन्य वस्तु नियम : यदि आपके घर के उत्तर-ईशान के भाग का फर्श पश्चिम-वायव्य के फर्श से लगभग 1 फीट नीचा है और वायव्य की तुलना में नैऋत्य कोण 1 फीट और अधिक नीचा है तो नुकसानदायक है।
9. अन्य वस्तु नियम : मकान के अंदर का दक्षिण-नैऋत्य का भाग उत्तर, पूर्व और पश्चिम दिशा की तुलना में नीचा है, मकान के पूर्व-ईशान में लगभग डेढ़ फीट ऊंचा शौचालय है, घर में बाहर से ऊपर जाने के लिए उत्तर दिशा में पश्चिम-वायव्य से सीढ़ियां बनी हुई हैं तो नुकसान दायक है।
10. अन्य वस्तु नियम : यदि घर के अंदर से भी दुकान में आने-जाने के लिए आग्नेय कोण में सीढ़िया हैं, इसी के सामने पश्चिम नैऋत्य में एक द्वार घर के अंदर जाने के लिए बना है तो यह भी नुकसानदायक है। उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण वास्तुदोष मिलकर भयंकर तरह की दुखद घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।
Apurva Srivastav

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