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सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास माना गया हैं जो कि हर माह की आखिरी तिथि पर पड़ती हैं अभी सावन का महीना चल रहा हैं और इस महीने अधिकमास लगा हुआ हैं ऐसे में इस बार की पूर्णिमा को सावन अधिकमास की पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। इस दिन पूजा पाठ और स्नान दान का विधान होता हैं।
पंचांग के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पनर अधिकमास की पूर्णिमा का व्रत किया जाता हैं जो कि इस बार 1 अगस्त दिन मंगलवार यानी कल पड़ रही हैं इस दिन पूजा पाठ और व्रत आदि करने से जातक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं और कष्टों से राहत मिल जाती हैं, ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा अधिकमास की पूर्णिमा तिथि पर व्रत पूजन का मुहूर्त और विधि बता रहे हैं।
अधिकमास पूर्णिमा का मुहूर्त—
धार्मिक पंचांग के अनुसार श्रावण अधिकमास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त को सुबह 3 बजकर 51 मिनट से आरंभ हो रही हैं और 2 अगस्त को देर रात 12 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अधिकमास पूर्णिमा का व्रत 1 अगस्त दिन मंगलवार को किया जाएगा। इस दिन पूजा के लिए पूरा दिन उत्तम रहेगा।
सावन अधिकमास पूर्णिमा की पूजा विधि—
अधिकमास पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं और व्रत का संकल्प करें। फिर पूजन स्थल की अच्छी तरह से साफ सफाई करके एक साफ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और उन्हें धूप दीपक, नैवेद्य अर्पित करें। फिर भगवान सत्यनारायण का ध्यान करें। इसके बाद संध्याकाल में पूजा करते वक्त अपने समक्ष पानी का कलश रखें विष्णु जी को पत्ता, पंचामृत, केला और पंजीरी बनाकर अर्पित करें फिर माता लक्ष्मी के संग श्री विष्णु की विधिवत पूजा करें और सत्यनारायण की कथा का पाठ करें। पूजन के बाद सभी को प्रसाद बाटें। इस दिन दान पुण्य के कार्य करना उत्तम माना जाता हैं।
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