धर्म-अध्यात्म

क्या है गुड़ी पड़वा की कथा

HARRY
19 March 2023 1:57 PM GMT
क्या है गुड़ी पड़वा की कथा
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गुड़ी पड़वा मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक
हिंदू नववर्ष का आरम्भ गुड़ी पड़वा से ही होता है। गुड़ी पड़वा के पर्व का उत्साह विशेष तौर पर महाराष्ट्र राज्य में देखने को मिलता है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में भी धूमधाम से गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है। गुड़ी मतलब विजय पताका। गुड़ी पड़वा के दिन पताका (ध्वज) लगाने की परंपरा है। मराठी समुदाय के लोग गुड़ी पड़वा के दिन घर के बाहर गुड़ी बांधकर पूजा करते हैं। इसे सुख-समृद्धि का सूचक माना जाता है।
वही इस वर्ष गुड़ी पड़वा का पर्व 22 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि का आरम्भ 21 मार्च 2023 को रात 10:52 से होगा एवं इसका समापन 22 मार्च 2023 रात 08:20 पर होगा।
गुड़ी पड़वा की पौराणिक कथा:-
गुड़ी पड़वा मनाने से जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक, त्रेता युग में दक्षिण भारत में राजा बालि का शासन हुआ करता था। प्रभु श्री राम जब माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका की तरफ जा रहे थे। तब दक्षिण में उनकी मुलाकात बालि के भाई सुग्रीव से हुई। सुग्रीव ने प्रभु श्री राम को बालि के कुशासन और आतंक के बारे में सारी बातें बताई। तब प्रभु श्री राम ने बालि का वध कर उसके आतंक से सुग्रीव को मुक्त कराया। कहा जाता है कि जिस दिन प्रभु श्री राम ने बालि का वध किया था, वह दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था। इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को दक्षिण में गुड़ी पड़वा के तौर पर मनाया जाता है तथा विजय पताका फहराई जाती है। आज भी गुड़ी पड़वा पर पताका लगाने की परंपरा कायम है।
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