धर्म-अध्यात्म

क्या हैं भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाएं, इस जन्माष्टमी जानें इनका महत्व

Manish Sahu
2 Sep 2023 1:51 PM GMT
क्या हैं भगवान श्रीकृष्ण की 16 कलाएं, इस जन्माष्टमी जानें इनका महत्व
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धर्म अध्यात्म: भगवान श्रीकृष्ण विष्णुजी के आठवें अवतार माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं में कृष्णजी के बाल रूप से लेकर राधा संग उनकी प्रेम कहानियां दुनियाभर में प्रचलित हैं। भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों में से सिर्फ भगवान कृष्ण ही 16 कलाओं से पूर्ण माने जाते हैं।
क्या होती है कलाएं?
कला का मतलब किसी व्यक्ति में मौजूद विशेष गुणों को माना जाता है। इन खास गुणों के चलते ही व्यक्ति देश-दुनिया में कीर्ति और यश हासिल करता है। मान्यता है कि आमतौर पर मनुष्यों में 5 कलाएं होती हैं। वहीं श्रेष्ठ व्यक्तियों में अधिकतम 8 कलाएं होती हैं। भगवान श्रीराम 12 कलाओं से परिपूर्ण माने गए हैं। चलिए भगवान कृष्ण के 16 कलाओं के बारे में जानते हैं।
1.धैर्य: भगवान कृष्ण संकट की घड़ी में धैर्य बनाए रखते थे।
2.कश्मा(माफ करना):भगवान श्रीकृष्ण ने माफ करने का विशेष गुण है। उनकी मृत्यु एक शिकारी के हाथों हुई थी। भगवान ने उन्हें भी माफ कर दिया था।
3.न्याय:कृष्ण बदला लेने से ज्यादा न्याय मिलने पर अधिक विश्वास रखते थे। उन्होंने बदले के बजाए न्याय के लिए युद्ध किया। कृष्ण के इन गुणों से मनुष्यों को सीख लेना चाहिए।
4.दया:श्रीकृष्ण जगत की भलाई के बारे में विचार करते थे और सबका भला सोचते थे। हमें भी लोगों के बीच प्रेम और स्नेह से रहना चाहिए।
5. निरपेक्ष: भगवान श्रीकृष्ण के निष्पक्ष होने के गुणों की भी खूब प्रशंसा होती है। उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन को युद्ध में सेना भी प्रदान की तो वहीं अर्जुन के परम मित्र बनकर युद्ध में उनके साथ खड़े रहे।
6. निरासक्त: दुर्वासा मुनि से श्राप मिलने हो, रुखमणी से 12 साल अलग रहना पड़ा हो, उनके बेटे का अपहरण हो या उनके कुल का अंत हुआ हो। भगवान कृष्ण सुख और दुख से हमेशा खुद को अलग रखते थे।
7.तपस्या: भगवान कृष्ण को योगेश्वर भी कहा जाता है। वह ध्यान और आध्यात्मिक शक्तियों से परिपूर्ण थे।
8.अपरचित्त:कान्हा मुश्किल की भी घड़ी को शांति और साहस से सामना करते थे।
9.दानशील: भगवान कृष्ण ने एक मुट्टी चावल के बदले अपने प्रिय मित्र सुदामा को तीन लोक की संपत्ति का स्वामी बना दिया था। जिसकी कथाएं दुनियाभर में चर्चित हैं।
10.सौन्दर्यमय: भगवान श्रीकृष्ण की चेहरे की कांति और आभा देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाए। वह सुंदर होने के साथ अपने स्वभाव से भी लोगों का दिल जीत लेते थे।
11.नृत्यज्ञ: भगवान श्रीकृष्ण श्रेष्ठ नर्तक भी हैं। उन्होंने कालिया नाग के मस्तक पर नृत्य किया था। जब कोई जीवन की मुश्किल घड़ी में भी नृत्य कर सकता है तो वह मुश्किल से मुश्किल समय में भी खुश रह सकता है।
12.संगीतज्ञ:भगवान श्रीकृष्ण की बांसुरी सिर्फ मनुष्यों का ही नहीं बल्कि प्रकृति का भी ध्यान खींच लेती थी।
13.नीतिवादी: कान्हा अपने ईमानदार और विनम्र स्वभाव के लिए भी जाने जाते थे।
14.सत्यवादी: श्रीकृष्ण कठिन परिस्थितियों में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ते थें और कड़वा सच बोलने से भी परहेज नहीं करते थे।
15.सर्वज्ञता: कान्हा में कविता, नाटक, कला समेत सभी गुण विद्यमान थे।
16.सर्वानियंता:भगवान श्रीकृष्ण किसी से भी बुरा-बर्ताव नहीं करते थे और ना ही किसी पर नियंत्रण रखते थें बल्कि लोग स्वंय ही उन्हें अपना स्वामी मान लेते थे। जीवन में हमें भी खुद पर नियंत्रण रखने की कोशिश करना चाहिए।
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