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विनाश का कारण बनती है अति, चाणक्य निति में है जिक्रर
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Chanakya Niti in Hindi: जीवन में हर चीज यदि संतुलित मात्रा में हो तो ही बेहतर होता है. असंतुलन कई गड़बड़ियां पैदा करता है. महान विद्वान, कूटनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ बातों के लिए आगाह किया है. इसमें कुछ चीजों की अति करने से बचने के लिए कहा गया है. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि कुछ चीजों के मामले में अति करना जिंदगी पर भारी पड़ सकता है.
विनाश का कारण बनती है अति
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अत्यधिक सुंदरता के कारण माता सीता का हरण हुआ था. वहीं हद से ज्यादा अहंकार के कारण भगवान राम को रावण का वध करना पड़ा था. वहीं अच्छाई के मामले में भी अति करना भारी पड़ता है. राजा कर्ण को दान करने के नियम के कारण अपने कवच-कुंडल गंवाने पड़े थे. लिहाजा किसी भी मामले में अति करने से बचें.
शत्रुता, मित्रता, भोजन में भी रखें ध्यान
चाणक्य नीति कहती है कि शत्रुता-मित्रता में भी अति न करें. ना ही किसी से इतनी शत्रुता करें कि मौका पड़ने पर उसका सामना करने की स्थिति भी न रहें या वो व्यक्ति आपकी जान को नुकसान कोशिश करे. ना ही किसी से इतनी मित्रता करें कि उस मित्र के साथ छोड़ने पर आपको जीवन भारी लगने लगे. इसी तरह भोजन के मामले में भी कभी अति न करें वरना यह आपकी सेहत को इतना नुकसान पहुंचा देगा कि केवल पछतावा ही आपके हाथ लगेगा.