धर्म-अध्यात्म

आज विकट संकष्टी चतुर्थी पर , जानें चंद्रोदय का समय और पूजा विधि

Tara Tandi
30 April 2021 5:23 AM GMT
आज विकट संकष्टी चतुर्थी पर , जानें चंद्रोदय का समय और   पूजा विधि
x
एकादशी की तरह हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में. दोनों ही व्रत गणपति को समर्पित होते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेसक | एकादशी की तरह हर माह में दो बार चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में. दोनों ही व्रत गणपति को समर्पित होते हैं. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के नाम से जाना जाता है. वहीं वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी या विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikata Sankashti Chaturthi) कहा जाता है.

कठिन समय, संकट और दुखों से मुक्ति पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी का ये व्रत रखा जाता है. इस दिन महादेव और गौरी के पुत्र गणेश की विधि विधान से पूजा कर मोदक या लड्डुओं का भोग लगाया जाता है और रात में चंद्रमा के दर्शन व अर्घ्य के बाद व्रत खोला जाता है. इस बार विकट संकष्टी चतुर्थी आज 30 अप्रैल को है. जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और अन्य जरूरी बातें.
शुभ मुहूर्त
संकष्टी चतुर्थी – 30 अप्रैल 2021, शुक्रवार
चतुर्थी तिथि शुरू – 29 अप्रैल 2021 रात 10 बजकर 9 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त – 30 अप्रैल 2021 को 7 बजकर 9 मिनट तक
चंद्रोदय का समय – रात 10 बजकर 48 मिनट
जानें महत्व
भगवान गणेश को शुभता का प्रतीक माना जाता है. जहां गणेश जी का श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजन होता है, वहां कभी कोई अमंगल नहीं होता. गणपति को समर्पित संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तिओं का प्रभाव खत्म हो जाता है. विपत्तियां दूर होती हैं और मनोकामना पूर्ण होती है. इस दिन चंद्र दर्शन का खास महत्व है. चंद्र दर्शन के बाद ही ये व्रत पूर्ण माना जाता है.
पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं. स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा की वेदी तैयार करें. अब एक चौकी या पाटे पर भगवान गणेश की तस्वीर स्थापित कर व्रत का संकल्प लें. उसके बाद गणेश भगवान को धूप, दीप, 21 दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें. फिर ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें. शाम के समय चंद्रमा के दर्शन कर शहद, चंदन और रोली मिश्रित दूध से अर्ध्य दें. इसके बाद व्रत पारण करें.


Tara Tandi

Tara Tandi

    Next Story