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धर्म-अध्यात्म
नवरात्र के आठवें दिन आज है महागौरी पूजा, जानिए पौराणिक कहानी और व्रत कथा
Teja
9 April 2022 6:50 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | चैत्र नवरात्र अब अपने अंतिम पड़ाव पर हैं। आज चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है। यानी आज चैत्र नवरात्र का आठवां दिन। नवरात्र के आठवें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के मां महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है। मां महागौरी का रंग पूर्णता गोरा होने के कारण ही इन्हें महागौरी या श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां की पूजा का जीवन में विशेष फल प्राप्त होता है। मान्यता के मुताबिक मां महागौरी की पूजा करने से धन व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की होती है पूजा
नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। इन दोनों दिन लोग कन्या पूजन भी करते हैं। जिन लोगों के यहां नवमी पर कन्या पूजन होता है, उन्हें माता का हवन कराकर ही कन्या पूजन करना चाहिए। अष्टमी तिथि शुक्रवार की रात 11 बजकर 6 मिनट से आरंभ होगी। जो 9 अप्रैल पूरी रात तक रहेगी। दुर्गा अष्टमी का व्रत 9 अप्रैल को रखा जाएगा।
नवरात्र के आठवें दिन कन्या पूजन का महत्व
देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों और ब्राह्मणों को भोजन भी कराना चाहिए। विशेष रूप से कुमारियों को घर पर आदर सहित बुलाकर उनके हाथ-पैर धुलवाकर, उन्हें आसन पर बिठाना चाहिए और उन्हें हलवा, पूड़ी और चने का भोजन कराना चाहिए। भोजन कराने के बाद कुमारियों को कुछ न कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद भी लेनाचाहिए। इससे देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं और मन की मुरादें पूरी करती हैं।
नवरात्र के आठवें दिन ऐसे करें मां महागौरी की पूजा
अष्टमी के दिन स्नान कर साफ़ कपड़े पहनें। उसके बाद दुर्गा अष्टमी व्रत करने और मां महागौरी की पूजा करने का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थान पर मां महागौरी या दुर्गा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। यदि आपने कलश स्थापना किया है, तो वहीं बैठकर पूजा करें। मां महागौरी को सफेद और पीले फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। नारियल का भोग लगाएं। कहा जाता है कि ऐसा करने से देवी महागौरी प्रसन्न होती हैं। नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी समस्या दूर होती हैं। अंत में मां महागौरी की आरती करें।
मां महागौरी की पौराणिक कथा
मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी को लेकर दो पौराणिक कथाएं काफी प्रचलित हैं। पहली पौराणिक कथा के अनुसार पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लेने के बाद मां पार्वती ने पति रूप में भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तपस्या करते समय माता हजारों वर्षों तक निराहार रही थी, जिसके कारण माता का शरीर काला पड़ गया था। वहीं माता की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया और माता के शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया, माता का रूप गौरवर्ण हो गया। जिसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया।
मां महागौरी की दूसरी पौराणिक कथा
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार कालरात्रि के रूप में सभी राक्षसों का वध करने के बाद भोलनाथ ने देवी पार्वती को मां काली कहकर चिढ़ाया था। माता ने उत्तेजित होकर अपनी त्वचा को पाने के लिए कई दिनों तक कड़ी तपस्या की और ब्रह्मा जी को अर्घ्य दिया। देवी पार्वती से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने हिमालय के मानसरोवर नदी में स्नान करने की सलाह दी। ब्रह्मा जी के सलाह को मानते हुए मां पार्वती ने मानसरोवर में स्नान किया। इस नदी में स्नान करने के बाद माता का स्वरूप गौरवर्ण हो गया। इसलिए माता के इस स्वरूप को महागौरी कहा गया। आपको बता दें मां पार्वती ही देवी भगवती का स्वरूप हैं।
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