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आज मत्स्य जयंती है। आज के दिन भगवान मत्स्य की पूजा की जाती है।
आज मत्स्य जयंती है। आज के दिन भगवान मत्स्य की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु का पहला अवतार सतयुग के दौरान मछली का रूप ही था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मत्स्य अवतार एक सींग वाली मछली है जो महाप्रलय के दौरान दिखाई देती है। हिंदू कैलेंडर में, मत्स्य जयंती को शुक्ल पक्ष के दौरान चैत्र के महीने में तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह उत्सव चैत्र नवरात्रि के दौरान आता है। मत्स्य भक्तों के लिए मत्स्य जयंती एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन पूरे देश में भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। आंध्र प्रदेश में तिरुपति के पास एक मंदिर है जिसका नाम नागालपुरम वेद नारायण स्वामी है। यह मंदिर भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है।
मत्स्य जयंती का शुभ मुहूर्त:
तृतीया तिथि आरंभ: 14 अप्रैल 2021, बुधवार दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 15 अप्रैल 2021, गुरुवार दोपहर 3 बजकर 27 मिनट तक
मत्स्य जयंती का शुभ महत्व:
हिंदू कथाओं के अनुसार, मत्स्य अवतार श्री हरि विष्णु के दस अवतारों में से एक थे। भगवान विष्णु ने राजा मनु को लौकिक जलप्रलय के बारे में चेतावनी दी थी। यहां तक कि दमनका नाम के राक्षस से ब्रह्मांड को बचाया था। कहा जाता है कि मत्स्य अवतार की पूजा करने के लिए अनुष्ठानों, परंपराओं और रीति-रिवाजों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। फिर भी मत्स्य जयंती के दिन, हिंदू भक्त विष्णु के इस रूप की भक्ति और समर्पण के साथ पूजा करते हैं। यह त्यौहार पूरे देश में भगवान विष्णु के मंदिरों में एक भव्य तरीके से मनाया जाता है।
Triveni
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