धर्म-अध्यात्म

3 साल में एक बार आता यह व्रत, जानें मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य समय

Manish Sahu
27 July 2023 6:24 PM GMT
3 साल में एक बार आता यह व्रत, जानें मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य समय
x
धर्म अध्यात्म: विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर तीन साल में एक बार आता है क्योंकि यह चतुर्थी व्रत अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस व्रत को करने से सभी दुखों का अंत हो जाता है. इस समय श्रावण अधिक मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है. पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष प्रारंभ होगा और फिर विभुवन संकष्टी चतुर्थी आएगी. इस व्रत में रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं, जिसके बाद ही व्रत पूर्ण होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि विभुवन संकष्टी चतुर्थी कब है? पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और चंद्र अर्घ्य समय क्या होगा?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्रावण अधिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 अगस्त दिन शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर शुरू हो जाएगी. इस तिथि का समापन 05 अगस्त दिन शनिवार को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर होगा. ऐसे में चतुर्थी के चंद्रोदय समय के आधार पर विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत 4 अगस्त को होगा. विभुवन संकष्टी चतुर्थी को अधिक मास की संकष्टी चतुर्थी या मलमास की संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं.
ये भी पढ़ें: कब है सावन ​अधिक मास की शिवरात्रि? सर्वार्थ सिद्धि समेत बनेंगे 2 शुभ योग, जान लें शिव पूजा मुहूर्त
विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त
4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 39 से लेकर सुबह 07 बजकर 21 मिनट तक है. उसके बाद सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 52 मिनट तक शुभ समय है. इस में आप विभुवन संकष्टी चतुर्थी की पूजा कर सकते हैं.
विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रात:काल से लेकर सुबह 06 बजकर 14 मिनट तक शोभन योग है. उसके बाद अतिगंड योग प्रारंभ होगा, जो 5 अगस्त को तड़के 02 बजकर 29 मिनट तक है.
पंचक और भद्रा में विभुवन संकष्टी चतुर्थी
इस साल की विभुवन संकष्टी चतुर्थी पंचक में है. व्रत के दिन पूरे समय पंचक है, वहीं भद्रा सुबह से लेकर दोपहर तक है. उस दिन भद्रा सुबह 05 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है.
विभुवन संकष्टी चतुर्थी 2023 चंद्रोदय समय
4 अगस्त को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदय रात 09 बजकर 20 मिनट पर होगा. उस दिन व्रती चद्रोदय होने पर चंद्रमा को अर्घ्य देंगी और पारण करके व्रत को पूरा करेंगी.
घर में रखें ये पौधा दूर होगी आर्थिक तंगीआगे देखें...
विभुवन संकष्टी चतुर्थी का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव अज्ञातवास के समय कौरवों से छिपकर रह रहे थे. उस दौरान अपनी पत्नी द्रौपदी को कष्ट में देखकर दुखी होते थे. तब वेद व्यास जी के सुझाव पर उन्होंने विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत विधिपूर्वक किया. गणेश जी के आशीर्वाद से उनके सभी कष्ट दूर हो गए.
Next Story