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धर्म-अध्यात्म
चमत्कारिक है महादेव का ये शंख, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा
Manish Sahu
6 Aug 2023 2:19 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: सनातन धर्म में शंख की बहुत अहमियत है। इसके उपयोग के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। पौराणिक कथा के मुताबिक, दुर्वासा ऋषि के श्राप से बचने के लिए प्रभु श्री विष्णु ने देवताओं को दैत्यों के साथ मिलकर समुद्र मंथन का सुझाव दिया। मंथन में कई अद्भुत रत्न निकले और विष भी निकला था, जिसे पीकर महादेव का नाम नीलकंठ पड़ा। समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर महादेव तो हिमालय की तरफ चले गए, मगर समुद्र के जल में फिर भी विष का प्रभाव था। उस विषाक्त जल को एक शंख ने ग्रहण कर समुद्र के जल को सामान्य किया था। विषाक्त जल को ग्रहण करने के बाद जिस प्रकार महादेव का गला नीले रंग का हुआ तथा उनका नाम नीलकंठ पड़ा, ठीक उसी प्रकार इस शंख का नाम भी नीलकंठ हो गया। इस विशिष्ट शंख की आकृति दोनों ओर से खुली हुई होती है। इसका ऊपर से नीचे तक मुंह खुला हुआ रहता है।
वही अगर कभी किसी को सर्प डस ले या फिर बिच्छू डंक मार दे तो इस शंख में गंगाजल भरकर पीड़ित शख्स को पिलाने से जहर उतर जाता है या फिर उसका प्रकोप कम हो जाता है। शंख में देशी गाय का गोमूत्र डालकर जहरीले जानवर के काटे स्थान को साफ करना चाहिए।
परम्परा है कि जिस शख्स के घर में इस शंख को स्थापित किया जाता है, उसके घर में सांप, बिच्छू आदि अन्य जहरीले जानवर प्रवेश ही नहीं करते हैं। इस शंख में काली गाय का दूध डालकर कुछ वक़्त तक सूर्य की किरणों में रखने के पश्चात् पीने से आंतरिक असाध्य बीमारियों को समाप्त करने की शक्ति होती है। अगर कोई व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो उसे सफेद देशी गाय का दूध उसी शंख में कुछ देर रखने के पश्चात् पिला देना चाहिए। ऐसा करने से उस पीड़ित शख्स को मानसिक तनाव से हमेशा के लिए मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
Manish Sahu
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