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धर्म-अध्यात्म
तीन प्रकार की होती हैं गृह प्रवेश पूजा, जानिए कौन- कौन सी
Ritisha Jaiswal
31 Jan 2022 4:45 PM GMT
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हिन्दू धर्म (Hinduism) में हर शुभ कार्य से पहले ईश्वर को याद करना और उनकी विधि विधान से पूजा (Puja) अर्चना करने का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है.
हिन्दू धर्म (Hinduism) में हर शुभ कार्य से पहले ईश्वर को याद करना और उनकी विधि विधान से पूजा (Puja) अर्चना करने का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है. मान्यता है कि भगवान की पूजा हर शुभ काम को सफल बनाती है. फिर चाहे मौका विवाह का हो, जन्मोत्सव हो, या फिर गृह प्रवेश (Grih Pravesh) का हो. सभी मौकों पर भगवान की पूजा की जाती है. इस पूजा के पीछे भी कोई न कोई रहस्य छिपा होता है. नया घर लेने से पहले घर में पूजा करवाई जाती है. अपना घर होना हर किसी के जीवन का सपना होता है. आज हम जानेंगे कि जब भी हमें नए घर में रहने के लिए जाना होता है तो सबसे पहले गृह प्रवेश पूजा क्यों कराई जाती है. गृह प्रवेश पूजा कितने प्रकार की होती है और कब नहीं करना चाहिए आइए जानते हैं.
तीन प्रकार की होती हैं गृह प्रवेश पूजा
1. अपूर्व गृह प्रवेश पूजा – इस पूजा में जब पहली बार घर बनाकर उसमें प्रवेश लिया जाता है तो उस पूजा को अपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है.
2. सपूर्व गृह प्रवेश पूजा – जब किसी कारण से अपने घर को छोड़कर दूसरे घर में जाते हैं या दूसरे शहर में जाते हैं फिर वहां से वापस लौट कर उसी घर में आते हैं तो उस समय की जाने वाली पूजा को सपूर्व गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है.
3 द्वांधव गृह प्रवेश पूजा – जब किसी आपदा या किसी परेशानी के चलते कुछ समय के लिए रह रहे घर को छोड़कर दोबारा उसी घर में प्रवेश किया जाता है और जो पूजा कराई जाती है उसे द्वांधव गृह प्रवेश पूजा कहा जाता है
इस पूजा में वास्तु देवता की पूजा की जाती है. यह पूजा सबसे पहले गृह प्रवेश करने के दौरान की जाती है. इसे घर के बाहर करने का विधान है. इसमें मुख्य द्वार पर तांबे का कलश नौ प्रकार का अनाज और एक सिक्का रखा जाता है. एक नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश पर रखा जाता है. पूजा के बाद घर के दंपती उस कलश को उठाकर घर के अंदर ले जाते हैं और हवन कुंड के पास उस कलश की स्थापना करते हैं.
वास्तु की शांति
जब गृह प्रवेश की पूजा की जाती है उस समय वास्तु शांति के लिए हवन कराया जाता है. इस पूजा में हवन कराने से घर में सुख शांति बनी रहती है. साथ ही ग्रहों के हानिकारक प्रभाव और नकारात्मक प्रभाव से भी बचाव होता है. वास्तु शास्त्र की पूजा में वास्तु भगवान की पूजा के साथ साथ सत्यनारायण और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
इन माह में ना करें गृह प्रवेश
गृह प्रवेश जैसा शुभ कार्य चैत्र, आषाढ़, आश्विन और कार्तिक माह में नहीं करना चाहिए ना ही इन महीनों में गृह निर्माण करना चाहिए. मान्यता है कि इन महीनों में गृह निर्माण करने से धन हानि होती है, साथ ही परिवार के सदस्यों की आयु भी घटती है.
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Ritisha Jaiswal
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