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हिंदू धर्म में बसंत पंचमी का दिन विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। इसी के कारण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मां सरस्वती ही नहीं बल्कि भगवान शिव के लिए भी बसंत पंचमी का दिन खास है। क्योंकि इस दिन महादेव का तिलक हुआ था।
शिव महापुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंद पुराण के अलावा कई पुराणों में बाबा भोलेनाथ के तिलकोत्सव का प्रसंग वर्णित है। दक्ष प्रजापति ने उस समय के कई मित्र राजा-महाराजाओं के साथ कैलाश पर जाकर भगवान शिव का तिलक किया था। उसी आधार पर इस परंपरा का निर्वाह आज भी किया जा रहा है।
बसंत पंचमी को हुआ था तिलकोत्सव
मान्यताओं के अनुसार, मां पार्वती से विवाह के लिए देवताओं ने मिलकर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया था। ये खास पर्व बसंत पंचमी के दिन आयोजन किया गया था। इसी के कारण हर साल काशी सहित अन्य ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव का तिलक किया जाता है। काशी की बात करें, तो बसंत पंचमी की शाम को डमरू-ढोल की ध्वनि के साथ महिलाएं मंगल गीत गाती है और विधि विधान के साथ बाबा का तिलक चढ़ाया जाएगा, जिसमें बाबा काशी विश्वनाथ के दूल्हा के रूप में दर्शन होंगे।
महाशिवरात्रि को होता है विवाह
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन बाबा भोलेनाथ ता तिलक चढ़ाय़ा जाता है और महाशिवरात्रि के साथ शिव-पार्वती विवाह संपन्न होता है। इस दिन देशभर में बाबा की शादी धूमधाम से की जाती है।
रंगभरी एकादशी को होता है गौना
महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती का विवाह होता है। इसके बाद रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना हुआ था। इसी कारण काशी सहित अन्य जगहों पर धूमधाम के साथ मां पार्वती की विदाई की जाती है।
बाबा बैद्यनाथ मंदिर में होता है धूमधाम से तिलकोत्सव
देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में बसंत पंचमी के साथ बाबा का तिलकोत्सव धूमधाम से करते हैं। इस दिन तिलक की रस्म अदा करने के लिए महादेव के ससुराल यामी मिथिलांचल से बड़ी संख्या में लोग कावड़ लेकर बाबा के धाम पहुंचते हैं और बसंत पंचमी के दिन तिलक चढ़ाकर अबीर-गुलाल लगाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं। इसके साथ ही शिव विवाह में शामिल होने का संकल्प लेकर वापस लौट जाते हैं।
Apurva Srivastav
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