धर्म-अध्यात्म

गुप्त नवरात्रि में होती है दस महाविद्याओं की पूजा

11 Feb 2024 6:58 AM GMT
गुप्त नवरात्रि में होती है दस महाविद्याओं की पूजा
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गुप्त नवरात्र का महत्व बहुत अधिक है. यह नवरात्री का एक विशेष रूप है जो माघ मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से शुरू होता है और चैत्र मास के नवरात्री के उत्सव के पूर्व मास में मनाया जाता है. यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है और भगवान शक्ति की आराधना का अवसर …

गुप्त नवरात्र का महत्व बहुत अधिक है. यह नवरात्री का एक विशेष रूप है जो माघ मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन से शुरू होता है और चैत्र मास के नवरात्री के उत्सव के पूर्व मास में मनाया जाता है. यह उत्सव नौ दिनों तक चलता है और भगवान शक्ति की आराधना का अवसर प्रदान करता है. गुप्त नवरात्र का महत्व उसके धार्मिक और सामाजिक परिणामों में है. इस अवसर पर लोग नौ दिनों तक भगवान शक्ति की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्राप्त करने का संघर्ष करते हैं. इस उत्सव में ध्यान, धर्म, और सेवा के माध्यम से अपने आप को शुद्ध करने का अवसर प्राप्त होता है. गुप्त नवरात्र के दौरान, मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को शक्ति और सामर्थ्य का अनुभव होता है. इसके अलावा, इस उत्सव में सामाजिक सहयोग, परम्परागत संस्कृति के अभिवादन, और धार्मिक गतिविधियों का समर्थन भी होता है. गुप्त नवरात्र का महत्व ध्यान, श्रद्धा, और साधना के माध्यम से आत्मा को पवित्र बनाने का होता है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास और धार्मिक अभिवृद्धि होती है.

दस महाविद्याओं के मंत्र

काली: ॐ क्रीं कालिकायै नम

मंत्र का अर्थ है, "हे कालिका माता, आपको नमस्कार" यह मंत्र मां कालिका (काली माता) को समर्पित है, जो शक्ति और उग्रता की प्रतिनिधित्व करती हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "क्रीं" भगवती की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, और "कालिकायै नमः" उनको नमस्कार करने का अर्थ है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवान कालिका माता की कृपा प्राप्त करते हैं और उनकी आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र शक्ति के उन्नति और संरक्षण के लिए भी प्रयोग किया जाता है.

तारा: ॐ ह्रीं त्रीं हुं फट्

मंत्र का अर्थ है, "हे माँ तारा, आपको नमस्कार" यह मंत्र माँ तारा को समर्पित है, जो करुणामयी और सौहार्दपूर्ण देवी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" भगवती की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "त्रीं" उनकी तृप्ति और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "हुं" उनकी कार्यशीलता और उद्दीपन का प्रतिनिधित्व करता है, और "फट्" एक सकारात्मक संकल्प और शक्तिशाली अक्षमता का प्रतिनिधित्व करता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी तारा की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को उनकी उच्च आद्यात्मिक और शारीरिक स्तर पर समृद्धि, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति में सहायक होता है.

छिन्नमस्ता: ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं छिन्नमस्ते स्वाहा

"ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं छिन्नमस्ते स्वाहा" मंत्र का अर्थ है, "हे छिन्नमस्ता, आपको स्वाहा" यह मंत्र मां छिन्नमस्ता को समर्पित है, जो देवी काली की एक साक्षात्कार रूप हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" भगवती की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "श्रीं" सौभाग्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "क्लीं" उनकी क्रूर रूपता का प्रतिनिधित्व करता है, और "स्वाहा" एक अर्पणा और समर्पण का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी छिन्नमस्ता की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

भुवनेश्वरी: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं भुवनेश्वर्यै नम

मंत्र का अर्थ है, "हे भुवनेश्वरी, आपको नमस्कार" यह मंत्र माँ भुवनेश्वरी को समर्पित है, जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति और सृष्टि का स्वामिनी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ऐं" उनकी क्रियाशीलता और सक्रियता का प्रतिनिधित्व करता है, "ह्रीं" भगवती की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "श्रीं" सौभाग्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "क्लीं" उनकी क्रूर रूपता का प्रतिनिधित्व करता है, और "नमः" नमस्कार का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी भुवनेश्वरी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

भैरवी: ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भैरव्यै नम

मंत्र का अर्थ है, "हे भैरवी, आपको नमस्कार" यह मंत्र माँ भैरवी को समर्पित है, जो शक्ति की साक्षात्कार रूप में विभावना की रानी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" भगवती की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "श्रीं" सौभाग्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "क्लीं" उनकी क्रूर रूपता का प्रतिनिधित्व करता है, और "नमः" नमस्कार का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी भैरवी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

धूमावती: ॐ धूं धूं धूमावत्यै स्वाहा

मंत्र का अर्थ है, "हे धूमावती माता, आपको स्वाहा" यह मंत्र माँ धूमावती को समर्पित है, जो भैरवी रूप में जानी जाती हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "धूं" उनकी उग्रता और निर्ममता का प्रतिनिधित्व करता है, और "स्वाहा" अर्पणा और समर्पण का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी धूमावती की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं। यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

बगलामुखी: ॐ ह्लीं बगलामुख्यै मम सर्वजन वशं कुरु कुरु स्वाहा

मंत्र का अर्थ है, "हे बगलामुखी माता, मेरे सभी लोगों को अपने वश में करें, स्वाहा" यह मंत्र माँ बगलामुखी (बगलामुखी देवी) को समर्पित है, जो सर्वजन का वशीकरण करने वाली देवी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्लीं" उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "मम सर्वजन वशं कुरु कुरु" सभी लोगों को अपने वश में करने का अर्थ है, और "स्वाहा" अर्पणा और समर्पण का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी बगलामुखी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

मातंगी: ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नम

मंत्र का अर्थ है, "हे माँ सरस्वती, आपको नमस्कार" यह मंत्र माँ सरस्वती को समर्पित है, जो विद्या, बुद्धि, कला, और शक्ति की देवी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "ऐं" उनकी कला और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, और "नमः" नमस्कार का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी सरस्वती की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से विद्या, बुद्धि, और कला में समृद्धि प्राप्त करते हैं। यह मंत्र भक्त को ज्ञान की शक्ति और सामर्थ्य में सहायक होता है.

कमला: ॐ ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद स्वाहा

मंत्र का अर्थ है, "हे माँ कमला, हे कमलालय वासिनी, कृपा करें, कृपा करें, स्वाहा" यह मंत्र माँ कमला को समर्पित है, जो समृद्धि, सौभाग्य, और सफलता की देवी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "श्रीं" सौभाग्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "कमले कमलालये" उनके आवास स्थल का स्मरण करता है, "प्रसीद प्रसीद" उनसे कृपा की प्रार्थना करता है, और "स्वाहा" अर्पणा और समर्पण का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी कमला की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी संदेह, अस्तित्व, और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को समृद्धि, सौभाग्य, और सफलता में सहायक होता है.

स्थूला: ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्थूलायै नम

मंत्र का अर्थ है, "हे स्थूला रूप वाली देवी, आपको नमस्कार" यह मंत्र माँ स्थूला रूप वाली देवी को समर्पित है, जो स्थूल रूप से प्रकट होने वाली देवी हैं. "ॐ" एक ध्यान और आध्यात्मिकता का प्रतीक है, "ह्रीं" उनकी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, "श्रीं" सौभाग्य और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, "क्लीं" उनकी क्रूर रूपता का प्रतिनिधित्व करता है, और "नमः" नमस्कार का बोध कराता है. इस मंत्र का जाप करने से भक्त भगवानी स्थूला रूप वाली देवी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनके आशीर्वाद से सभी कष्टों और संकटों से मुक्ति प्राप्त करते हैं. यह मंत्र भक्त को सामर्थ्य, स्थिरता और संजीवनी शक्ति में सहायक होता है.

इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति अपनी आत्मा को शुद्ध करता है और मां पार्वती की कृपा को प्राप्त करता है. ये मंत्र ध्यान, भक्ति और साधना के लिए भी प्रयोग किए जाते हैं

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