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माता रानी का ऐसा मंदिर जहां श्रद्धालु पत्थर बजाकर मां से मांगते हैं मन्नत
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत तुल्लाह के चुल्ला गांव में मां टौण भ्राड़ी माता का प्राचीन मंदिर स्थित है। कहते हैं कि यह पवित्र स्थान काफी प्राचीन है तथा खुले आसमान के नीचे मां टौण भ्राड़ी की प्रतिमा यहां विराजमान है। इसी स्थान पर काफी लंबे समय तक ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद …
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत तुल्लाह के चुल्ला गांव में मां टौण भ्राड़ी माता का प्राचीन मंदिर स्थित है। कहते हैं कि यह पवित्र स्थान काफी प्राचीन है तथा खुले आसमान के नीचे मां टौण भ्राड़ी की प्रतिमा यहां विराजमान है। इसी स्थान पर काफी लंबे समय तक ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद जी महाराज ने निवास कर इस पवित्र स्थान पर तपस्या की है। आज भी स्वामी शंकरानंद जी महाराज की प्राचीन कुटिया इस स्थान पर सुरक्षित है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के 19 प्रविष्टे को यहां पर प्राचीन समय से ही मां टौण भ्राड़ी का एक दिवसीय मेला भी आयोजित किया जाता है।
मां टौण भ्राड़ी के इस प्राचीन स्थान पर मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मां टौण भ्राड़ी कई परिवारों की कुलदेवी भी है। श्रद्धालु मां की पिंडी के साथ रखे पत्थरों को बजाकर अपनी मन्नत मांगते हैं। कहते हैं कि मां को कम सुनाई देता है ऐसे में भक्तजन मां के दरबार में हाजरी लगाते समय रखे पत्थरों को जरूर बजाते हैं। वर्तमान में मां को मंदिर के भीतर स्थापित करने के लिए भक्तजनों के सहयोग से छोटे मंदिरों का भी निर्माण किया गया है। लेकिन मां की आज्ञा न मिलने के कारण आज भी मां टौण भ्राड़ी मंदिर के बाहर ही विराजमान है तथा भक्तजन यहीं पर मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
कहते हैं कि शादी होने पर नव विवाहित दंपति परिजनों सहित मां का आशीर्वाद प्राप्त करने यहां अवश्य पहुंचते हैं तथा मां की फेरी भी लगाते हैं। प्राचीन समय से ही मां के दरबार में नव दंपति की फेरी लगाने की परंपरा आज भी बरकरार है तथा स्थानीय वासियों सहित अन्य श्रद्धालु आज भी फेरी लगाने मां के दरबार में पहुंचते हैं।
इस स्थान पर लंबे समय पर तपस्या में लीन रहे हैं स्वामी शंकरानंद जी महाराज
मां टौण भ्राड़ी के इस पवित्र स्थान पर ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद जी महाराज काफी लंबे वक्त तक तपस्या में लीन रहे हैं। उन्होंने इस पवित्र स्थान पर न केवल श्रद्धा व भक्ति का अलख जगाया बल्कि इस पवित्र स्थान को संरक्षित करने का भी प्रयास किया। ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद जी महाराज की पवित्र कुटिया आज भी सुरक्षित है तथा श्रद्धालु मां का आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद स्वामी जी का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करते हैं। मंदिर परिसर में ही स्वामी शंकरानंद जी महाराज का समाधि स्थल भी स्थापित किया गया है।
वर्तमान में ब्रह्मचारी स्वामी राम कुमार दास जी कर रहे हैं मंदिर परिसर की देखरेख
वर्तमान में इस प्राचीन टौण भ्राड़ी मंदिर परिसर की देखरेख ब्रह्मचारी स्वामी राम कुमार दास जी वर्ष 1984 से कर रहे हैं। श्रद्धालुओं के सहयोग से मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े मंदिरों का निर्माण करवाया गया है। जिनमें शिव मंदिर, राम मंदिर, हनुमान मंदिर, शनिदेव मंदिर प्रमुख हैं। इसके अलावा पर्यटन विभाग के सहयोग से यहां पर विश्राम स्थल का निर्माण भी किया गया है। इस पवित्र स्थान पर प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर्व के दौरान शिव कथा का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर विकास के लिए स्वामी राम कुमार दास जी ने भक्तों से सहयोग की अपील भी की है ताकि मंदिर परिसर का ओर बेहतर विकास किया जा सके।
कैसे पहुंचे टौण भ्राड़ी मंदिर परिसर
मां टौण भ्राड़ी का यह प्राचीन मंदिर परिसर सडक़ मार्ग से जुड़ा हुआ है तथा वाहन आसानी से मंदिर परिसर तक पहुंचते हैं। यह स्थान उपमंडल मुख्यालय जोगिन्दर नगर से लगभग 45 किलोमीटर, तहसील मुख्यालय लडभड़ोल से लगभग 15 किलोमीटर, प्रमुख धार्मिक स्थल बैजनाथ से लगभग 37 किलोमीटर की दूरी पर है। इसके अलावा सरकाघाट से वाया धर्मपुर भी यहां पहुंचा जा सकता है। प्राकृतिक दृष्टि से भी यह स्थान बेहद खूबसूरत है तथा यहां से धीमी आवाज में कल-कल बहती ब्यास नदी का विहंगम दृश्य देखते ही बनता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बैजनाथ पपरोला जबकि नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल कांगड़ा है।