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- शुभ कार्य करने से पहले...
अक्सर लोगों को छींक आती है. कभी ठंड, सर्दी-जुकाम की वजह से छींक आती है तो कभी किसी और कारण से. हालांकि, लोग छींक को शकुन और अपशुकन से जोड़कर देखते हैं. हालांकि, छींक एक नैसर्गिक प्रक्रिया है तो आइए जानते हैं कि कौन सी छींक शकुन और किस तरह की छींक अपशकुन की सूचना देती है.
प्राचीन काल से शकुन
छींक को प्राचीन काल से शकुन माना गया है. अधिकतर लोग छींक आने पर ओम शांति के शब्द का उच्चारण करते हैं. छींक आने को प्रेतात्माओं के नाक में आने और जाने का सूचक माना जाता है. जब कोई व्यक्ति किसी काम को आरंभ करने वाला हो और उसे उसी समय छींक आ जाए तो इसे शुभ माना जाता है, किंतु यदि छींक किसी दूसरे व्यक्ति को आई हो समय और दिशा का विचार करना पड़ता है.
छींक का महत्व
शकुन के लिए उसी छींक का महत्व होता है, जो अचानक और अकारण आए. यदि आप कोई काम शुरू करने जा रहे हैं और आपको वास्तविक छींक सुनाई दे तो कुछ देर के लिए रुककर कार्य करना चाहिए. यदि बाहर जाते समय छींक सुनाई दे तो घर लौट आना चाहिए और कुछ देर बैठकर पानी पीने के बाद निकलना चाहिए.
मिलता है फल
छींक की आवाज दिन के पहले चौथाई भाग में दक्षिण-पूर्व दिशा से सुनाई दे तो कार्य में बाधा उपस्थित होती है. यह आवाज दिन के दूसरे भाग में उसी दिशा से सुनाई देने पर आग लगने का भय होता है. दिन के तीसरे भाग में यही आवाज सुनाई देने पर किसी मित्र से मिलने का अवसर प्राप्त होता है. चौथे भाग में छींक सुनाई देने पर प्रसन्नता पूर्ण सूचना की प्राप्ति होती है.