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धर्म-अध्यात्म
शुभ मुहूर्त में करें जन्माष्टमी पूजा, जानें पूजा की सही विधि और व्रत पारण समय
Manish Sahu
6 Sep 2023 5:47 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: आज लड्डू गोपाल का जन्मोत्सव बेहद ही धूमधाम से मनाया जाएगा। वहीं, रात्रि के समय प्रभु का जन्म होगा और विधि-विधान से पूजा की जाएगी। इस दिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व होता है। वहीं, जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण के जन्म का शुभ मुहूर्त आज माना जा रहा है। कई सालों बाद आज रोहिणी नक्षत्र, उच्च राशि में चंद्रमा और अष्टमी तिथि के शुभ संयोग पर प्रभु श्री कृष्ण की जन्माष्टमी मनायी जाएगी। इस बार जन्माष्टमी पर जयंती योग भी बन रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार की जन्माष्टमी तिथि द्वापर योग की तिथि जैसी बेहद शुभ है। इसलिए आइए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण जन्म और पूजा करने का शुभ मुहूर्त, सही विधि और व्रत पारण का समय-
जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को शाम 04:14 पी एम तक
रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ - सितम्बर 06, 2023 को सुबह 09:20 ए एम
रोहिणी नक्षत्र समाप्त - सितम्बर 07, 2023 को सुबह 10:25 ए एम तक
जन्माष्टमी रात्रि पूजा विधि-
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के बाद प्रभु का अभिषेक किया जाता है। खीरे से बाहर निकालने के बाद लड्डू गोपाल का पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक करें। इसके बाद किसी भगवान प्रभु की मूर्ति को कपड़े से पोछें और उन्हें वस्त्र पहनाएं। अब प्रभु का आभूषणों से श्रृंगार करें। इन्हें मुकुट पहनाएं, हाथों में कंगन, कानों में कुंडल, पैरों में पायल और बांसुरी पकड़ाएं साथ ही गले में माला भी पहनाएं। इसके बाद प्रभु को पीला चंदन लगाएं और पुष्प चढ़ाएं। अब घी के दीपक से श्रद्धा के साथ बाल गोपाल की आरती करें। कान्हा जी को माखन प्रिय है। इसलिए कान्हा जी को माखन मिश्री, लड्डू या मेवे की खीर का भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
व्रत पारण का समय
इस साल जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 7 सितंबर के दिन शाम को 4:14 पर समाप्त हो रही है। वहीं, रोहिणी नक्षत्र 7 सितंबर सुबह 10:25 पर समाप्त होगा। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत का पारण 7 सितंबर की सुबह 10:30 पर किया जा सकता है। वहीं, 7 सितंबर को शाम 4:15 के बाद व्रत का पारण करना ज्यादा लाभकारी माना जाएगा।
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