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शिवजी के पांच मुखों से हुई उत्पत्ति, शिव हैं इस मंत्र के देवता
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Om Namah Shivaya Mantra: रुद्राक्ष की माला से ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है. इस मंत्र को काफी शक्तिशाली और चमत्कारी बताया गया है. 'ॐ नमः शिवाय' का मंत्र का जाप करने से संपूर्ण शास्त्र ज्ञान प्राप्त हो जाता है. इस मंत्र के जप करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
शिवजी के पांच मुखों से हुई उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का जप करना चाहिए? इस पर भगवान शिव ने कहा कि उन्होंने ही सबसे पहले अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था.
शिव हैं इस मंत्र के देवता
सनातन धर्म में ॐ नमः शिवाय पंचाक्षर कहलाते हैं. शिव पुराण के अनुसार, इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं और स्वयं शिव इसके देवता हैं. इस मंत्र को शरणाक्षर मंत्र भी कहा गया है. ॐ नमः शिवाय का अर्थ है कि लोग घृणा, तृष्णा, स्वार्थ, लोभ, ईर्ष्या, काम, कोध्र, मोह, माया और मद से रहित होकर प्रेम और आन्नद से परिपूर्ण होकर परमात्मा का शानिध्य प्राप्त करें.
जप करने की विधि
इस मंत्र का जप शिव मंदिर, तीर्थ या घर में साफ, शांत व एकांत जगह में बैठकर करना चाहिए. इस मंत्र को रुद्राक्ष की माला से 108 बार जप करना चाहिए. मंत्र जप करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें. योग मुद्रा में बैठकर ही इस मंत्र का जप करना चाहिए. शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से कृष्ण पक्ष की चतुर्थदशी तक इस मंत्र का जाप करें. इस दौरान खानपान, वाणी और इंद्रियों में संयम रखें.
मंत्र के फायदे
इस मंत्र का जप सूर्योदय और सूर्यास्त दोनों प्रहर में कर सकते हैं. इस मंत्र को जप करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलने लगती हैं. इस मंत्र के जप करने से धन लाभ होता है और शत्रुओं पर विजय मिलती है. इससे संतान प्राप्ति भी होती है और हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं.