धर्म-अध्यात्म

धरती की अतल गहराइयों में बसा है नागलोक... जानिए इसके बारें में सब कुछ

Ritisha Jaiswal
10 Aug 2021 9:39 AM GMT
धरती की अतल गहराइयों में बसा है नागलोक... जानिए इसके बारें में सब कुछ
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नाग और नागों की दुनिया जितनी डरावनी लगती है, उतनी ही रोचक भी है. इसीलिए लोग इनके बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा जानने को उत्‍सुक रहते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नाग और नागों की दुनिया जितनी डरावनी लगती है, उतनी ही रोचक भी है. इसीलिए लोग इनके बारे में ज्‍यादा से ज्‍यादा जानने को उत्‍सुक रहते हैं. फिर चाहे बात नाग-नागिन के कहीं नजर आने की हो या फिर नागों के घर यानी कि नागलोक (Naglok) की हो. धर्म-पुराणों में नागलोक का उल्‍लेख विस्‍तार से मिलता है. यहां तक कि देश में कई जगहों को लेकर दावा किया जाता है कि वहां से नागलोक में जाने का रास्‍ता जाता है. इस साल 13 अगस्‍त को नाग पंचमी (Nag Panchami) है, इस मौके पर जानते हैं कि देश में नागलोक जाने के द्वार (Naglok Dwar) कहां-कहां पर हैं.

ये रास्‍ते ले जाते हैं सीधे नागलोक
नागलोक जाने वाले कुछ रास्‍ते देश में भी हैं और विदेश में भी हैं. आज हम भारत के उन रास्‍तों के बारे में बात करेंगे जिनके लिए कहा जाता है कि वे सीधे नागलोक को जाते हैं. हालांकि इन रास्‍तों पर चलना आसान नहीं है क्‍योंकि कहीं ये रास्‍ते घने जंगल और दुर्गम रास्‍तों से होकर जाते हैं तो कहीं यह जमीन की अतल गहराइयों में ले जाते हैं.सतपुड़ा का नागलोक द्वार: मप्र में सतपुड़ा के घने जंगलों से एक रास्‍ता नागलोक को जाता है. हालांकि इस रास्‍ते तक ही पहुंचने के लिए खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई करनी पड़ती है और इसके लिए साल में मिलने वाले 1-2 मौकों का इंतजार करना पड़ता है, क्‍योंकि टाइगर रिजर्व एरिया होने के कारण यह बाकी समय बंद रहता है.
नागलोक जाने का छत्‍तीसगढ़ वाला रास्‍ता: राज्‍य के जशपुर क्षेत्र के तपकरा इलाके को नागों के मामले में खासा रहस्‍यमयी माना जाता है. इसकी 2 वजहें हैं- एक तो यहां सांपों की ढेरों प्रजातियां पाई जाती हैं और दूसरा यहां के पहाड़ पर स्थित गुफा को पाताल द्वार कहा जाता है. कहते हैं कि गुफा के अंदर से नागलोक का रास्‍ता है लेकिन जो भी गुफा में गया वो कभी लौटा नहीं.
यूपी में भी है नागलोक जाने का रास्‍ता: काशी के नवापुरा में बना कुआं जमीन की अतल गहराइयों तक जाता नजर आता है. यहां तक कि इसकी गहराई का किसी को भी ठीक-ठाक तरीके से पता नहीं है. कारकोटक नाग नाम के इस तीर्थ में दर्शन करने की अनुमति साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन ही मिलती है. कहते हैं कि कुआं का यह रास्‍ता नागलोक तक जाता है.
इसी तरह मुजफ्फरनगर के शुक्रताल के बारे में कहा जाता है कि इसका तल इतना गहरा है कि वह नागलोक तक जाता है. आज तक कोई भी इसकी गहराई का पता भी नहीं लगा पाया है. नागलोक तक जाने का यह पानी वाला रास्‍ता कभी सूखा नहीं है.झारखंड के इस नाग द्वार पर खुद तैनात हैं नाग: राजधानी रांची की पहाड़ी पर बने नाग मंदिर में भी नागलोक जाने का रास्‍ता है. गुफा में बने इस मंदिर में हमेशा नाग-नागिन रहते हैं. यह मंदिर सैंकड़ों साल पुराना है.



Ritisha Jaiswal

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