धर्म-अध्यात्म

मार्कंडेय को मिला था अल्पायु का वरदान, मार्कंडेय ऋषि ने की थी महामृत्युंजय मंत्र की रचना

Tulsi Rao
26 Feb 2022 6:34 PM GMT
मार्कंडेय को मिला था अल्पायु का वरदान, मार्कंडेय ऋषि ने की थी महामृत्युंजय मंत्र की रचना
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महामृत्युंजय मंत्र की रचना करने वाले मार्कंडेय ऋषि की आयु कम क्यों थी? फिर किस प्रकार अमर हो गए? आइए जानते हैं इस संबंध में रोचक कथा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Mahashivratri 2022: महाशिवरात्रि इस बार 1 मार्च, मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस महामृत्युंजय मंत्र से शिव का अभिषेक करने पर शारीरिक कष्ट दूर होते हैं. इसके अलावा इस मंत्र के जाप से मानसिक शांति मिलती है और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है. इतना ही नहीं इस मंत्र के विधिवत जाप से लंबी आयु का वरदान मिलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र की रचना करने वाले मार्कंडेय ऋषि की आयु कम क्यों थी? फिर किस प्रकार अमर हो गए? आइए जानते हैं इस संबंध में रोचक कथा.

मार्कंडेय ऋषि ने की थी महामृत्युंजय मंत्र की रचना
पुराणों के मुताबिक महामृत्युंजय मंत्र की रचना मार्कंडेय ऋषि ने की थी. प्राचीन समय की बात है मृगशृंग ऋषि और सुव्रता की की कोई संतान नहीं थी. संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने भगवान शिव की उपसना की. उनकी उपासना से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया. इसके साथ ही भोलेनाथ ने यह भी कहा कि उस संतान की आयु कम होगी, सिर्फ 16 साल की अल्पायु में वह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा. भगवान शिव के आशीर्वाद के अनुसार कुछ समय बाद ऋषि के घर पुत्र का जन्म हुआ. जिसका नाम मार्कंडेय रखा गया. माता-पिता ने मार्कंडेय के आश्रम में ज्ञान अर्जन करने के लिए भेजा. जहां मार्कंडेय के ज्ञान प्राप्त करते हुए 15 साल बीत गए, लेकिन वे घर लौटकर नहीं आए. मार्कंडेय के माता-पिता को इस बात की चिंता सताने लगी.
जब मार्कंडेय कुछ समय बाद घर लौटकर आए तो मााता-पिता उन्हें अल्पायु होने की बात बताई. जिसके बाद मार्कंडेय महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और उसका जाप करते हुए शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या आरंभ कर दी. इस प्रकार एक वर्ष बीत गए. तब मार्कंडेय की उम्र 16 वर्ष हो गई थी. आयु पूरी होने के बाद यमराज उसके सामने प्रकट हुए तो मार्कंडेय ने शिवलिंग को पकड़ लिया. फिर भी यमराज उसे ले जाना चाहते थे, तब भगवान शिव वहां प्रकट हुए. शिवजी मार्कंडेय की तपस्या से प्रसन्न थे, इसलिए उन्हें अमरता का वरदान दिए. इस प्रकार भगवान शिव की कृपा और महामृत्युंजय मंत्र के मार्कंडेय अमर हुए और ऋषि कहलाए. कहते हैं कि शिवजी ने मार्कंडेय ऋषि से कहा था कि जो मनुष्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा, उसकी सारी समस्या खत्म होगी और उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं सताएगा.


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