धर्म-अध्यात्म

भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी 'अमरत्व की कथा'

Ritisha Jaiswal
29 Jun 2022 1:47 PM GMT
भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी अमरत्व की कथा
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हर वर्ष की तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) शुरु हो रही है. आज 29 जून से अमरनाथ यात्रा के लिए बाबा बर्फानी के भक्तों का जत्था रवाना होने लगेगा.

हर वर्ष की तरह इस बार भी अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) शुरु हो रही है. आज 29 जून से अमरनाथ यात्रा के लिए बाबा बर्फानी के भक्तों का जत्था रवाना होने लगेगा. हर भक्त बाबा अमरनाथ के दर्शन करके स्वयं की मनोकानाओं को पूरा करना चाहता है, ताकि उसके जीवन के कष्ट, दुख, रोग, दोष आदि सब दूर हो जाएं. शिव कृपा से उनको मोक्ष प्राप्त हो सके. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं कि बाबा अमरनाथ की पवित्र गुफा से जुड़ी ए​क प्रसिद्ध कथा है. उस कथा में बताया गया है कि किस प्रकार से भगवान भोलेनाथ ने माता पार्वती को अमरत्व के रहस्य को बताया था. आइए पढ़ते हैं उस कथा को.

बाबा अमरनाथ की कथा
शिवपुराण की एक कथा में बाबा अमरनाथ गुफा और उससे जुड़े रहस्य को बताया गया है. एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप अजर-अमर हैं, लेकिन उनको हर बार जन्म लेना पड़ता है और आपको पति स्वरूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप क्यों करना पड़ता है? आपको प्राप्त करने के लिए इ​तनी कठिन परीक्षा क्यों देनी पड़ती है? आपके अमर होने का रहस्य क्या है?
भगवान शिव अमरत्व के रहस्य को बताना नहीं चाहते थे, ले​किन माता पार्वती के हठ करने पर वे इसके लिए तैयार हुए. उन्होंने अमरत्व रहस्य को सिर्फ माता पार्वती को बताना चाहते थे, इसके लिए उन्होंने एकांत और शांतिपूर्ण अमरनाथ गुफा को चुना.
उस गुफा में पहुंचने के लिए भगवान शिव ने अपने पंचतत्वों को भी त्याग दिया. उस गुफा में नंदी, कार्तिकेय, गणेश या कोई अन्य पशु-पक्षी न आ पाए, इसलिए गुफा के चारों ओर आग जला दी. उसके बाद अमरत्व की कथा प्रारंभ की.
महादेव कथा सुनाने लगे और माता पार्वती उसी दौरान सो गईं. यह बात भगवान शिव को पता नहीं चली. उस कथा को दो कबूतर सुन रहे थे और वे हुंकार भर रहे थे. भगवान भोलेनाथ को लगा कि माता पार्वती वह कथा सुन रही हैं.
जब कथा समाप्त हुई, तो भगवान भोलेनाथ ने देखा कि माता पार्वती तो सो रही हैं, फिर उनके मन में प्रश्न उठा कि कथा किसने सुनी? उन्होंने नजर दौड़ाई, तो देखा कि वहां दो कबूतर मौजूद हैं. भगवान शिव क्रोधित हो गए, तो वे दोनों कबूतर उनके सामने क्षमा प्रार्थना करने लगे.
दोनों ने कहा कि हे महादेव! हमने यह कथा सुनी है. यदि आप हमें मार देते हैं, तो यह कथा असत्य हो जाएगी, आप हमारा मार्गदर्शन करें. तब भगवान शिव ने कहा कि तुम आज से यहां पर शिव और शक्ति के प्रतीक चिह्न के रूप में वास करोगे
उसके बाद से कबूतर का जोड़ा अमरत्व को प्राप्त कर लिया. इस पूरी कथा के कारण उस गुफा को अमरनाथ गुफा कहते हैं और यह कथा अमरकथा कहलाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आज भी कबूतर को जोड़ा वहां दिखाई देता है.


Ritisha Jaiswal

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