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धर्म-अध्यात्म
भगवान महादेव का ससुराल काशी के इस मंदिर में, जानें दो शिवलिंग का रहस्य
Manish Sahu
22 July 2023 9:51 AM GMT
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धर्म अध्यात्म: भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी काशी अद्भुत और निराली है. इसी काशी में भगवान भोले का ऐसा रहस्यमयी लोक है जहां एक अरघे में दो शिवलिंग विराजमान हैं. दो शिवलिंग वाले इस मंदिर को सारंगनाथ महादेव के नाम से जाना जाता है. महादेव के इस रहस्यमयी लोक को लेकर मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव यहां विराजमान होतें है और भक्तों की मनचाही मुरादें पूरी करते हैं.
वाराणसी शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर सारनाथ में भगवान शिव का ये अद्भुत मंदिर है. इस मंदिर में महादेव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए 44 सीढ़ी चढ़कर मंदिर के गर्भगृह में जाना होता है. मंदिर के ठीक सामने शिवकुण्ड भी है. मान्यता है कि इस कुंड का जल छिड़कने से भी सभी कष्ठों से मुक्ति मिल जाती है.
इस प्राचीन मंदिर में एक अरघे में दो शिवलिंग को लेकर धार्मिक कथा ये भी है कि यहां भगवान शिव अपने साले सारंग के साथ विराजमान हैं. मान्यताओं के अनुसार यहां जलाभिषेक और दर्शन से काशी विश्वनाथ के दर्शन के बराबर ही फल मिलता है. यही वजह है कि सावन के महीने में यहां भक्तों का रेला लगा होता है.
ये है धार्मिक कथा
मंदिर के पुजारी श्याम सुंदर ने बताया कि भगवान शिव और सती के विवाह से हिमालय राज की पत्नी रानी नैना को कष्ट हुआ.जिसके बाद सावन के महीने में उन्होंने अपने बेटी सती के लिए पांच खच्चर स्वर्ण के साथ अन्य जरूरी सामान लेकर अपने पुत्र सारंग को काशी भेजा.काशी आगमन के समय सारंग थक गए और सारनाथ के इसी स्थान पर उन्होंने विश्राम किया.इस दौरान उन्हें स्वप्न में काशी नगरी स्वर्ण की दिखाई दी.जिसके बाद उन्हें लगा कि वो इन समानों को उन्हें देकर उनका अपमान करेंगे.जिसके बाद सारंग ने प्रायश्चित के लिए यही तप शुरू कर दिया.उनकी तपस्या से भगवान शंकर प्रसन्न हुए उनसे वरदान मांगने को कहा. जिसके बाद सारंग ने वरदान मांगा की भगवान शिव सावन के महीने में यही दर्शन देंगे.बस तभी से भगवान शिव अपने साले के साथ यहां विराजमान हो गए.
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