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धर्म-अध्यात्म
जानें पंडित इंद्रमणि घनस्याल से कर्क संक्रांति पर पितरों का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें
Ritisha Jaiswal
16 July 2022 12:10 PM GMT
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शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस राशि से जुड़ी संक्रांति होती है.
शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, उस दिन उस राशि से जुड़ी संक्रांति होती है. इस बार 16 जुलाई को सूर्य कर्क राशि में गोचर करेंगे. ऐसे में आज शनिवार को कर्क संक्रांति का पर्व है. साल में 12 संक्रांति होती हैं क्योंकि सूर्य सभी 12 राशियों में गोचर करते हैं. लेकिन मकर और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व होता है. कर्क संक्रांति से सूर्य देव की दक्षिणी यात्रा शुरू होती है. कहा जाता है कि इस दिन से 6 महीने की भगवान की रात्रि शुरू होती है. कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु और सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. आइये जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से कि कर्क संक्रांति पर पितरों का आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें
दिन छोटे, रात होती है लंबी
जब सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन में जाते हैं, तो मौसम परिवर्तन होता है. जब सूर्य देव उत्तरायण में होते हैं तो दिन बड़े और रातें छोटी होती हैं. वहीं सूर्य देव के दक्षिणायन होने से दिन छोटे होने लगते हैं और रातें लंबी होने लगती हैं. हिंदू धर्म में कर्क संक्रांति का विशेष महत्व है. इस दिन विशेष पूजा कर पितरों का आशीर्वाद पा सकते हैं.
कर्क संक्रांति का प्रभाव
शास्त्रों के अनुसार, सूर्य देव के दक्षिणायन होने पर मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है. कर्क संक्रांति से शुभ और मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई आदि करने पर रोक रहती है. क्योंकि, इस समय नकारात्मक शक्तियां प्रभाव में होती है.
कहा जाता है कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान किया जाता है. पितरों की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस विशेष पूजा से पितर तृप्त होकर वंशजों को आशीर्वाद देते हैं.
Ritisha Jaiswal
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