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- जानें अष्टमी के दिन...
नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। धार्मिक दृष्टि से नवरात्रि का बहुत ही ज्यादा महत्व है। देशभर में इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार मां आदिशक्ति की उपासना का ये पावन पर्व 02 अप्रैल से शुरू होगा 10 अप्रैल तक मनाया जाएगा। नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही माता रानी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के ये नौ दिन बहुत शुभ माने जाते हैं। नवरात्रि में कुछ लोग अष्टमी के दिन हवन कर कन्या पूजन करते हैं तो कुछ नवमी के दिन ये काम करते हैं। आज 9 अप्रैल, 2022 को नवरात्र की अष्टमी तिथि है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना की जाती है। मान्यता है नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने से सभी पाप धुल जाते है। यदि आप नवरात्रि की अष्टमी तिथि पूजते हैं तो आइए जानते हैं कि अष्टमी तिथि पर हवन कैसे करते हैं और इसके बाद कन्या पूजन की विधि क्या है।
दुर्गा अष्टमी 2022 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:32 से प्रातः 05:17 तक
अभिजित मुहूर्त- प्रातः 11:57 से दोपहर12:48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03:20 तक
गोधूलि मुहूर्त- सायं 06:31 से सायं 06:55 तक
अमृत काल-10 अप्रैल, रात्रि 01:50 से प्रातः 03:37 तक
रवि योग- 10 अप्रैल, प्रातः 04:31से प्रातः 06:01तक
अष्टमी तिथि को होती है देवी के इस रूप की पूजा
नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि राहु ग्रह देवी महागौरी द्वारा शासित है।
हविष्य उस चीज को कहते हैं जिन्हें हवन के दौरान अग्नि में डालते हैं।
हवन कुंड,
धूप,
जौ,
नारियल,
काजू,
गुग्गुल,
मखाना,
किशमिश,
घी,
सुगंध,
मूंगफली,
बेलपत्र,
शहद,
अक्षत
उपरोक्त सामग्री (हवन कुंड के अलावा) को मिलाकर हविष्य बना लें, हविष्य उस चीज को कहते हैं जिन्हें हवन के दौरान अग्नि में डालते हैं। इसके साथ ही पूजन के समय रूई, फूल, अक्षत, चंदन, सिंदूर, फल, मिठाई, आम की लकड़ी, चंदन की लकड़ी, लौंग, कर्पूर, इलायची और माचिस चाहिए।
कैसे करें हवन
सर्वप्रथम जिस स्थान पर हवन करना हैं वहां गाय के गोबर से लीप कर उसे पवित्र करें।
हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर सभी सामग्रियों पर उससे छींटे मारें।
अब हवन कुंड रखें अगर ये नहीं है तो हवन कुंड बना लें।
कुंड के चारों तरफ कुश रखें।
हवनकुंड में आम की सूखी लकड़ियां रखें।
इसके बाद रूई में घी लगाकर उसे हवनकुंड में लकड़ी के ऊपर रखें।
फिर कपूर जलाकर हवनकुंड की अग्नि प्रज्जवलित करें।
इसके बाद बाद घी से 3 या फिर 5 बार गणेशजी, पंचदेवता, नवग्रह, क्षेत्रपाल, ग्राम देवता एवं नगर देवता के नाम की आहुति दें।
माता दुर्गा के लिए हवन करते समय 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः' बीज मंत्र का 108 बार जाप करते हुए हर जाप के साथ थोड़ा-थोड़ा हविष्य डालें।
अंत में खीर और शहद मिलाकर इसी मंत्र से हवन कुंड में आहुति दें।
फिर भगवान शिवजी और ब्रह्माजी के नाम से आहुति दें।
इस तरह हवन संपन्न करने के बाद मां दुर्गा की आरती करें और हवन का भभूत सभी लोग अपने लगाएं।
हवन पूर्ण होने के बाद कन्या भोज कराएं।
दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्याय के मंत्रों को बोलकर स्वाहा कहते हुए हवन कुंड में आहुति दें।6 of 8
दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्याय के मंत्रों को बोलकर स्वाहा कहते हुए हवन कुंड में आहुति दें। - फोटो : प्रयागराज
इस विधि से भी कर सकते हैं हवन
अगर आप विस्तार से हवन करना चाहते हैं तो कवच, कीलक, अर्गला का पाठ करते हुए दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्याय के मंत्रों को बोलकर स्वाहा कहते हुए हवन कुंड में आहुति दें।
एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल आसन बिछाकर उसपर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।7 of 8
एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल आसन बिछाकर उसपर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। - फोटो : jounpur
अष्टमी पूजन विधि
प्रातः जल्दी उठकर घर और पूजा स्थान की साफ-सफाई करें।
फिर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब पूजा स्थान पर पूजा करनी हो तो वहां पर गंगाजल का छिड़काव करें, या फिर एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल आसन बिछाकर उसपर मां दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
इसके बाद माता रानी को लाल चुनरी चढ़ाएं और श्रृंगार का सामान चढ़ाएं।
अब मां दुर्गा के समक्ष धूप दीप प्रज्वलित करें।
इसके बाद माता का कुमकुम, अक्षत से तिलक करें और मौली, लाल पुष्प लौंग कपूर आदि से विधि पूर्वक पूजन करें।
पान के ऊपर सुपारी और इलायची रखकर चौकी पर मां दुर्गा के समक्ष रखें।
इसके उपरांत मां दुर्गा को फल व मिष्ठान अर्पित करें।
पूजन के दौरान मां दुर्गा का स्मरण करते रहें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
पूजन पूर्ण होने के बाद मां दुर्गा की आरती करें और पूजन में हुई भूल के लिए क्षमा मांगे।
अगर आप महाष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें। 8 of 8
अगर आप महाष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें। - फोटो : प्रयागराज
कन्या पूजन की विधि
अगर आप महाष्टमी पर कन्या पूजन कर रहे हैं तो मां महागौरी की पूजा करने के बाद कन्या पूजन करें।
कन्या पूजन के लिए नौ कन्याओं और एक लंगूर को बिठा लीजिए।
नौ कन्याएं मां दुर्गा के नौ स्वरूप को दर्शाती हैं वहीं एक लंगूर भैरव को दर्शाता है।
अगर किसी कारणवश नौ कन्याएं बिठाने में आप असमर्थ हैं तो कुछ ही कन्याओं में भी यह पूजन किया जा सकता है। जितनी कन्याएं बची हैं उनका भोजन आप गौमाता को खिला सकते हैं।
कन्याओं और लंगूर का पैर धोकर उन्हें आसन पर बिठा दें।
अब सभी कन्याओं और लंगूर को तिलक लगाइए और आरती कीजिए।
मंदिर में मां को भोग लगाने के बाद कन्याओं और लंगूर को भोजन करवाइए।
भोजन के पश्चात उन्हें फल और दक्षिणा दीजिए।
अंत में सभी कन्याओं और भैरव का पैर छूकर आशीर्वाद लीजिए और सम्मान पूर्वक सभी को विदा कीजिए।