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लक्ष्मण जी ने श्री राम से पूछा, क्या है ज्ञान वैराग्य और माया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Laxman Shri Ram Converstion On Gyan: वनवास में चलते हुए प्रभु श्री राम, माता जानकी और भाई लक्ष्मण जी के साथ अगस्त्य मुनि के आश्रम में पहुंचे तो उन्हें देखते ही मुनि की आंखों से प्रेम और आनंद के आंसू बहने लगे. दोनों भाइयों ने मुनि के चरणों में गिर कर प्रणाम किया तो उन्होंने दोनों को गले लगा लिया और कुशलक्षेम पूछते हुए आसन ग्रहण करने का आग्रह किया. संवाद की प्रक्रिया में श्री राम ने कहा कि गुरुदेव आप मुझे वही सलाह दें जिससे मैं मुनियों के द्रोही राक्षसों का संहार कर सकूं. उनके वचन सुन कर मुनि ने मुस्कुराते हुए उलटा प्रश्न किया कि आपने क्या सोच कर मुझसे यह प्रश्न किया है. आप तो स्वयं ही लोगों के पापों का नाश करने वाले रघुनाथ जी हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि मैं को आपके उस रूप को जानता हूं और उसका वर्णन भी करता हूं तो भी लौट लौट कर मैं सगुण ब्रह्म में ही प्रेम मानता हूं.
अगस्त्य मुनि ने पंचवटी में कुटिया बना निवास की दी सलाह
अगस्त्य मुनि ने कहा कि यूं तो आप सर्वज्ञ हैं किंतु आपने मुझसे पूछा है तो बताना ही पड़ेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि आप दंडक वन में पंचवटी के स्थान को पवित्र कीजिए और श्रेष्ठ मुनि गौतम जी के कठोर शाप को हर लीजिए. उन्होंने कहा, हे रघुकुल के स्वामी आप यहीं पर निवास कीजिए. मुनि की आज्ञा पान श्री राम वहां से चल दिए और शीघ्र ही पंचवटी में पहुंच गए. पंचवटी में ही उनकी गिद्धराज जटायु से भेंट हुई और उनके साथ प्रेम बढ़ाकर प्रभु श्री राम ने गोदावरी नदी के तट पर पर्णकुटी तैयारी की और वहीं पर रहने लगे. श्री राम के वहां पर निवास करते ही वहां के मुनि आदि सब सुखी हो गए, राक्षसों को लेकर उनका डर जाता रहा.
लक्ष्मण जी ने श्री राम से पूछा, क्या है ज्ञान वैराग्य और माया
एक बार प्रभु श्री राम सुख से बैठे थे, उनके सामने बैठे हुए लक्ष्मण जी ने प्रश्न किया कि हे प्रभु, मेरे मन में एक प्रश्न है जिसका उत्तर आप ही दे सकते हैं. उन्होंने पूछा ज्ञान, वैराग्य और माया क्या है, और वह भक्ति भी बताइए जिसके कारण आप लोगों पर दया करते हैं. उन्होंने आगे कहा, ईश्वर और जीव का भेद भी समझा कर बताइए जिससे आपके चरणों में मेरी प्रीति हो और शोक, मोह तथा भ्रम नष्ट हो जाए. लक्ष्मण जी की बात सुनकर श्री राम ने उत्तर दिया कि मैं संक्षेप में इसका अर्थ बताता हूं, मैं और मेरा, तू और तेरा ही माया है जिसने समस्त जीवों को वश में कर रखा है.