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हर वर्ष 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। लोहड़ी का पर्व नए फसल की तैयारी के लिए उत्तर भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हर वर्ष 13 जनवरी को लोहड़ी और 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। लोहड़ी का पर्व नए फसल की तैयारी के लिए उत्तर भारत के कई राज्यों में मनाया जाता है। इसके अगले दिन यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाती है। यह तिथि सूर्य के राशि परिवर्तन पर निर्भर करती है। कई बार मकर संक्रांति 14 जनवरी के बदले 15 जनवरी को मनाई जाती है। इस वर्ष भी मकर संक्रांति को 15 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना संक्रांति कहलाता है। वहीं, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर में प्रवेश करता है, तो मकर संक्रांति पड़ती है। आइए, तिथि परिवर्तन के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कब मनाई जाएगी
ज्योतिषों में सूर्य राशि परिवर्तन के समय को लेकर मतभेद है। कई ज्योतिष बताते हैं कि 14 जनवरी को दिन में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। वहीं, कई ज्योतिषों का कहना है कि 14 जनवरी को रात्रि में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करने वाला है। दोनों तथ्यों के हिसाब से उदया तिथि अगले दिन 15 जनवरी को है। अतः 15 जनवरी ही मान्य होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान होता है। जब 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, तो संध्याकाल का समय रहेगा। अतः उदया तिथि 15 जनवरी को मान होगा।
पूजा विधि
ज्योतिषों की मानें तो इस वर्ष रोहिणी नक्षत्र में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। यह बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही 15 जनवरी को ब्रह्म और आनंदादि योग भी है। अतः मकर संक्रांति के दिन पूजा, जप, तप और दान करना विशेष फलदायी है। 15 जनवरी को ब्रह्म बेला में उठकर सूर्यदेव को नमस्कार कर दिन की शुरुआत करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर तिलांजलि करें। आसपास नदी या सरोवर है, तो तिल प्रवाहित करें। इसके बाद विधि पूर्वक पूजा पाठ कर ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें।
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