धर्म-अध्यात्म

जानें 117 दिनों तक योग निद्रा में क्यों रहते हैं भगवान विष्णु ?

Ritisha Jaiswal
6 July 2022 2:46 PM GMT
जानें 117 दिनों तक योग निद्रा में क्यों रहते हैं भगवान विष्णु ?
x
हर माह दोनों पक्षों में आने वाली एकादशी को भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व है.

हर माह दोनों पक्षों में आने वाली एकादशी को भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जागते हैं.इन चार महीनों को चातुर्मास के नाम से जाना जाता है. इतना ही नहीं, श्री हरि के शयन में जाने के बाद सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इस दौरान शादी, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते. भगवान श्री हरि के चार महीने शयनकाल में जाने का क्या कारण है. आइए जानें.

117 दिन के लिए क्यों सो जाते हैं भगवान श्री हरि
ये चार माह मतलब चतुर्मास को बरसात का मौसम कहा जाता है. इस बरसात के मौसम में दुनिया में बाढ़ का खतरा बेहद बढ़ जाता है. इस दौरान कई तरह की प्रलय आती है. वहीं, सूर्य इस समय दक्षिण की ओर बढ़ता है और कर्क राशि में प्रवेश कर जाता है. ज्योतिष के अनुसार कर्क राशि का चिह्न केकड़ा है. कहते हैं कि केकड़ा सूर्य के प्रकाश को खा जाता है. ऐसे में अब दिन छोटे होने लगते हैं.
वहीं, भगवान श्री हरि के शयनकाल में जाने को लेकर एक मान्यता ये भी है कि इस दौरान दुनिया में अंधकार छा जाता है. इस उथल-पुथल को संभालने में भगवान विष्णु बहुत थक जाते हैं इसलिए चार माह के लिए निद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान दुनिया को संभालने का काम भगवान विष्णु अपने अलग-अलग अवतारों को सौंप कर जाते हैं.
देवशयनी एकादशी के दिन यूं कराएं शयन
इस दिन भगवान विष्णु को शयन कराने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. इस दिन श्री हरि को पंचामृत से स्नान करवाया जाता है. बाद में धूप-दीप से पूजा की जाता है. इसके बाद भगवान विष्णु के शयन के लिए बिस्तर तैयार किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के कपड़े पर शयन कराया जाता है. इस दौरान सावन, शारदीय नवरात्रि, करवा चौथ, दीपावली, और छठ पूजा जैस बड़े त्योहार मनाए जाते हैं.


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

    Next Story