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फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत (Skanda Shashthi Vrat) रखा जाता है
Skanda Shashthi Vrat 2022: फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत (Skanda Shashthi Vrat) रखा जाता है. यह व्रत भगवान कार्तिकेय (Lord Kartikey) को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इस दिन भक्त पूरे विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत रखकर कथा पढ़ते हैं. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से लोग काम, क्रोध, मोह, अहंकार आदि से मुक्ति पा सकते हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि स्कंद षष्ठी व्रत कथा कौन सी है. आज का हमारा लेख इसी कथा पर है. पढ़ते हैं आगे…
स्कंद षष्ठी कथा
राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी सती यज्ञ में कूदकर भस्म हो गईं थी. तब शिव जी तपस्या में लीन हो गए. लेकिन उनके लीन होने से सृष्टि शक्तिहीन होने लगी. इस परिस्थिति का फायदा उठाते हुए तारकासुर ने देव लोक में आतंक मचा दिया और देवताओं को पराजित कर चारों तरफ भय का वातावरण बना दिया. तब सभी देवता मिलकर ब्रह्माजी के पास गए और उनसे हल पूछा. ब्रह्माजी ने कहा कि शिव पुत्र के द्वारा ही तारकासुर का अंत होगा. तब देवता भगवान शिव को पूरी बात बताई. तब भगवान शंकर पार्वती की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उनसे शादी करते हैं. उसके बाद भगवान शिव और पार्वती की संतान हुई. उसका नाम कार्तिकेय रखा गया. जैसा कि ब्रह्मा जी ने बताया था कि कार्तिकेय तारकासुर का वध करेंगे वैसा ही हुआ. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिकेय भगवान का जन्म षष्ठी तिथि को हुआ था, इसलिए भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की पूजा की जाती है.
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