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धर्म-अध्यात्म
कब है पापमोचनी एकादशी जानें तिथि, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
Teja
21 March 2022 6:02 AM GMT
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हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) का बहुत महत्व है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) का बहुत महत्व है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. साल भर में 24 एकादशी पड़ती हैं. हर एकादशी का नाम और महत्व अलग होता है. चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2022) का व्रत रखा जाता है. इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. जैसा कि नाम से पता चलता है, पापमोचनी एकादशी उन सभी पापों से छुटकारा पाने के लिए है जो किसी ने अपने जीवनकाल में किए होंगे. पापमोचनी एकादशी (Ekadashi 2022) पापों से मुक्ति प्रदान करने वाली एकादशी मानी गई है. भक्त एकादशी का व्रत रखते हैं, कुछ नियमों का पालन करते हैं और श्री विष्णु पूजा करते हैं. आइए जानें पापमोचनी एकादशी कब है.
पापमोचनी एकादशी तिथि
एकादशी तिथि की शुरुआत – मार्च 27, 2022 को शाम 06:04 बजे से होगी एकादशी तिथि का समापन – मार्च 28, 2022 को शाम 04:15 बजे होगा
व्रत पारण का समय
29 मार्च – सुबह 06:15 से सुबह 08:43 तक
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय – दोपहर 02:38
इस विधि से करें पूजा
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके घर के मंदिर में जाकर भगवान विष्णु के सामने एकादशी व्रत का संकल्प लें.
फिर एक वेदी बनाएं और पूजा करने से पहले इस पर 7 प्रकार के अनाज जैसे उड़द दाल, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा रखें.
वेदी के ऊपर कलश भी स्थापित करें और इसे आम या अशोक के 5 पत्ते से सजाएं.
वेदी पर भगवानविष्णु की मूर्ति स्थापित करें.
इसके बाद पीले फूल, मौसमी फल और तुलसी भगवान को अर्पित करें
इसके बाद एकादशी कथा सुनें. जितनी बार हो सके ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
धूप और दीप से विष्णु जी की आरती करें
भगवान को भोग लगाएं. भगवान को केवल सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
भोग में तुलसी जरूर शामिल करें. भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है. भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.
जरूरतमंदों को भोजन या आवश्यक वस्तु का दान करें.
व्रत शुरू करते समय ब्रह्मचर्य बनाए रखें.
शराब और तंबाकू का सेवन सख्त वर्जित है.
अगले दिन सुबह फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें. किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाएं. इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें.
इस व्रत में फलों का सेवन किया जा सकता है.
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