धर्म-अध्यात्म

जानें कब है हरतालिकी तीज और क्‍यों रखते हैं यह व्रत?

Ritisha Jaiswal
3 July 2022 4:24 PM GMT
जानें कब है हरतालिकी तीज और क्‍यों रखते हैं यह व्रत?
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सावन महीना शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. इससे पहले देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा.

सावन महीना शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. इससे पहले देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाएगा. इन 4 महीनों के दौरान कई व्रत-त्‍योहार पड़ते हैं. यूं कहें कि यह समय व्रत-त्‍योहारों का ही मौसम होता है. चातुर्मास की शुरुआत में सावन महीने के दौरान भक्‍त सोमवार के व्रत करते हैं. इसके अलावा सावन शिवरात्रि का व्रत भी अहम होता है. वहीं सावन महीने के बाद भाद्रपद महीना शुरू होता है. इसमें एक बेहद अहम व्रत हरितालिका तीज रखा जाता है.

हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद महीने के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है. सुहागिन महिलाएं हरितालिका तीज व्रत रखती हैं. इस साल यह व्रत 30 अगस्‍त 2022 को रखा जाएगा. हरितालिका तीज के दिन महिलाएं अखंड सौभाग्‍य के लिए कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं अच्‍छा वर पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं.
हरितालिका तीज व्रत पूजा विधि
हरितालिका तीज का व्रत रख रही महिलाओं-लड़कियों को इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए. इसके लिए शिव-पार्वती की मिट्टी से मूर्ति बनाई जाती है. व्रत के दिन सुबह जल्‍दी स्‍नान करके व्रत का संकल्‍प लेना चाहिए. फिर प्रदोषकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की पूजा करें. उन्‍हें तिलक लगाएं. श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. फल-मिठाइयों का भोग लगाएं. धूप-दीप दिखाएं. हरितालिका तीज व्रत की कथा जरूर सुनें. आखिर में आरती करें.
हरतालिका तीज पूजा शुभ मुहूर्त 2022
इस साल हरतालिका तीज 30 अगस्‍त को मनाई जाएगी. भाद्रपद माह के शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अगस्त, 2022 को दोपहर 03:20 बजे से 30 अगस्त 2022 की दोपहर 03:33 बजे तक रहेगी. वहीं पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 30 अगस्‍त को सुबह 06:05 बजे से 08:38 बजे तक रहेगा.
हरतालिका तीज व्रत के नियम
- व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार करें, नए कपड़े पहनें और अच्‍छी तरह सज-धज कर पूजा करें.
- इस व्रत को कुछ साल करके छोड़ा नहीं जाता है, इसलिए यह व्रत सोच-समझकर लें. यदि सूतक आदि के कारण पूजा न कर पाएं तो भी व्रत करें और दूर बैठकर कथा सुनें.
- हरतालिका तीज के दिन रात में जागकर शिव-पार्वती की पूजा-आराधना करें.


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