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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Rahukaal In Astrology: हिंदू धर्म और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में किसी भी शुभ कार्य को संपन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त का विचार अवश्य किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य हमेशा सफल रहता है. ज्योतिष शास्त्र में किसी पर्व या धार्मिक अनुष्ठान और संस्कारों में योग, मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की चाल और काल की गणना अवश्य की जाती है. जिस तरह से शुभ मुहूर्त की काल गणना होती है उसी प्रकार अशुभ मुहूर्त को भी विशेष ध्यान दिया जाता है. अशुभ मुहूर्त में राहु काल का जिक्र जरूर होता है. इस काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. दैनिक जीवन में राहु काल का विचार करके ही किसी शुभ कार्य को किया जाता है. आइए जानते हैं ज्योतिष में राहुकाल क्या होता है. इसकी गणना कैसे की जाती है और इसमें शुभ कार्य क्यों वर्जित माने जाते हैं ?
राहुकाल क्या होता है
राहुकाल, जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है राहु और काल. वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को बहुत ही पापी और क्रूर ग्रह माना जाता है. राहु से देवी-देवताओं पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. व्यक्ति के जीवन में यानी कुंडली में अगर राहुदोष हो तो मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, बीमारियां और दुख-दर्द झेलने पड़ते हैं. जिन लोगों पर राहु का प्रभाव पड़ता है उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष में राहु दोष से मुक्ति के लिए कई तरह के उपाय बताए जाते हैं. वहीं काल का अर्थ होता है समय खंड. जिसे वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुभ नहीं माना जाता है. इस कालखंड के स्वामी राहु होते हैं इस कारण से सबसे ज्यादा प्रभाव राहु की होता है. ऐसे में इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं किया जाता है. इस कालकंड में जिसे राहुकाल का समय कहा जाता है, उसमें किया जाने वाला कार्य का अच्छा परिणाम नहीं मिलता है. इसे राहुकाल कहा जाता है। हर दिन राहु का काल समय होता है.
राहुकाल की गणना कैसे होती है?
हर एक दिन राहुकाल जरूर होता है. दिन में किस समय राहुकाल और किस समय राहुकाल नहीं है, इसकी गणना पंचांग और वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बताए गए सूत्रों के आधार पर किया जाता है. अलग-अलग जगहों पर राहु काल का समय अलग-अलग होता है क्योंकि इसकी गणना का आधार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय से होता है. आइए जानते हैं राहुकाल की गणना कैसे की जाती है.
सबसे पहले आप जिस जगह का राहुकाल का पता लगाने चाहते हैं उस क्षेत्र में उस दिन के सूर्योदय और सूर्यास्त का समय पता कर लें. फिर इस पूरे समय को 8 बराबर भागों में बांट लें. राहुकाल का समय करीब डेढ़ घंटे का होता है।.मान लीजिए आप जिस जगह रहते हैं वहां पर सूर्योदय सुबह 6 बजे और सूर्यास्त शाम 6 बजे होता है. इस तरह से सोमवार को दूसरा, मंगलवार को सातवां, बुधवार को पांचवां, गुरुवार को छठा, शुक्रवार को चौथा, शनिवार को तीसरा और रविवार को आठवां हिस्सा राहुकाल कहलाता है.
सप्ताह में राहुकाल का समय
सोमवार प्रातः 7:30 – प्रातः 9:00
मंगलवार सांय 3:00 – सायं 4:30
बुधवार प्रातः 12:00 – सायं 1:30
बृहस्पतिवार सायं 1:30 – सायं 2:00
शुक्रवार प्रातः 10:30 – प्रातः 12:00
शनिवार प्रातः 9:00 – प्रातः 10:30
रविवार सायं 4:30 – सायं 6:00
राहुकाल के दौरान क्या करें क्या न करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहुकाल के दौरान बहुत से काम नहीं करना चाहिए। जानते हैं कौन-कौन कार्य नहीं करना चाहिए.राहुकाल के दौरान कोई भी नया काम न करें. काम की शुरुआत राहुकाल के समय को ध्यान में रखते हुए पहले या बाद में करें.अगर आपको गृहप्रवेश करना है तो उस दिन राहुकाल में न करें.राहुकाल में कोई भी नई मंहगी लग्जरी चीज न खरीदें.किसी दुकान या प्रतिष्ठान के उद्घाटन राहुकाल में न करें.किसी व्यापार की शुरुआत राहुकाल में न करें.