- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- शनिदेव के जन्म की कथा...
x
हिन्दू धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव की आराधना के लिए समर्पित माला जाता है
हिन्दू धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनि देव की आराधना के लिए समर्पित माला जाता है। शानिदेव को शास्त्रों में न्यायधीश कहा जाता है। मान्यता है कि अगर शनिदेव प्रसन्न हों, तो रंक को राजा बना देते है, लेकिन अगर वो नाराज हो जाए तो राजा को भी रंक बनाने में देर नही लगती। शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए या उनके प्रकोप से बचने के लिए लोग अक्सर काले रंग का प्रयोग ज्यादा करते है। शनिवार को काले रंग का महत्व माना जाता है।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काला कपड़ा, काला तिल, काले चने, काली उड़द या लोहे का समान चढ़ाया जाता है। शनिवार को काले रंग का महत्व माना जाता है। मान्यता है कि शनि देव को काली वस्तुएं ही पसंद हैं ,इसलिए उनकी पूजा में विशेषतौर पर काली वस्तुओं का ही प्रयोग होता है या काली वस्तुओं का ही दान किया जाता है, जबकि शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र हैं, जो स्वयं श्वेत रूप हैं और सारे संसार को प्रकाशित करते हैं परन्तु उनके पुत्र शनि देव को काली वस्तुएं ही प्रिय हैं। दरअसल इसका एक कारण स्वयं सूर्य देव भी हैं। आइए जानते हैं उस पौराणिक कथा के बारे में, जो बताती है कि क्यों शनि देव को काली वस्तुएं पसंद हैं।
शनिदेव के जन्म की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य देव का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री संध्या से हुआ था, जिनसे उन्हें मनु, यमराज तथा यमुना नामक संतानें प्राप्त हुईं परंतु देवी संध्या सूर्य देव के तेज को सहन नहीं कर पाती थीं, इसलिए उन्होनें अपनी जगह अपनी प्रतिरूप छाया को रख दिया और स्वयं पिता के घर चली गईं। देवी छाया रूप और गुण में संध्या का प्रतिरूप थीं, जिस कारण सूर्य देव को इस बात का पता नहीं चला परंतु शनि देव के जन्म के समय छाया देवी भगवान शिव का कठोर तप कर रही थीं, जिस कारण अपनी गर्भावस्था का भी सही से ध्यान नहीं रख पा रही थीं। इसी कारण शनि देव जन्म के समय ही अत्यंत काले तथा कुपोषित पैदा हुए। काला पुत्र होने के कारण सूर्य देव ने उन्हें अपनी संतान मानने से इंकार कर दिया परंतु ये बात शनि देव को बहुत बुरी लगी।
इसलिए शनिदेव को काली वस्तुएं अर्पित की जाती हैं
मां के गर्भ में ही शनि देव को भगवान शिव की शक्ति प्राप्त हो गयी थी, अतः उनके क्रोध से देखने पर सूर्य देव स्वयं भी काले पड़ गए तथा उन्हें कुष्ठ रोग हो गया। सूर्य देव ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और अपनी गलती स्वीकार की तथा शनि देव को सभी ग्रहों में सबसे शक्तिशाली होने का वरदान दिया। अपने स्वयं के काले रंग का होने के कारण और काले रंग की उपेक्षा के कारण शनि देव को काला रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए शनिवार को काले रंग का महत्व माना जाता है।उनके पूजन में काली वस्तुओं जैसे काले तिल, काला चना तथा लोहे का ही प्रयोग होता है।
इसलिए शनिदेव को काली वस्तुएं अर्पित की जाती हैं
अपने जन्म के बाद काला वर्ण होने के कारण शनिदेव को उपेक्षा सहना पड़ी थी। ऐसे में उन्हें अहसास हुआ कि काला रंग कितना उपेक्षित है। पूजा पाठ आदि किसी शुभ काम में इस रंग को अहमियत नहीं मिलती है। इस कारण उन्होंने काले रंग का अपना प्रिय रंग बना लिया। तब से शनिदेव को काले रंग की वस्तुएं चढ़ाई जाने लगी। इससे शनिदेव अत्यंत प्रसन्न होते है।
Tagsवास्तु दोषवास्तु दोष के उपायवास्तु दोष निवारण के उपायवास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र का ज्ञानवास्तु के नियमवास्तु टिप्सकुछ महत्वपूर्ण वास्तु नियमसनातन धर्महिंदू धर्मभारतीय ज्योतिष शास्त्रज्योतिष शास्त्रVastu DoshaVastu Dosha RemediesVastu ShastraKnowledge of Vastu ShastraRules of VastuVastu TipsSome Important Vastu RulesSanatan DharmaHinduismIndian AstrologyJyotish Shastraजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़न्यूज़ वेबडेस्कआज की बड़ी खबरRelationship with publicrelationship with public newslatest newsnews webdesktoday's big news
Apurva Srivastav
Next Story