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बाबा बालक नाथ जी को हिंदू धर्म में भगवान शिव का रूप माना गया
बाबा बालक नाथ जी हिंदुओं के एक पूजनीय देवता हैं और पूरे उत्तर भारत में इनकी पूजा की जाती है. खासकर हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली आदि राज्यों में इनकी बड़ी श्रद्धा से पूजा की जाती है. बाबा बालक नाथ जी के पूजा स्थल को “दयोटसिद्ध” के नाम से भी जाना जाता है. इस देवता का मंदिर हिमाचल प्रदेश राज्य की चकमोह पहाड़ी पर बना है और यह स्थान हमीरपुर जिले में आता है. बाबा का यह मंदिर पहाड़ी पर है और इस मंदिर में एक गुफा भी है. इस गुफा से जुड़ी मान्यता है कि यह गुफा बाबा जी का निवास स्थान है और इस गुफा में बाबा जी की मूर्ति है. जहां बाबा जी के भक्त बाबा जी की वेदी में “रोट” चढ़ाते हैं. बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में 14 मार्च से हमीरपुर मेला शुरू होने वाला है.
बाबा बालक नाथ जी की कथा (Who was Baba Balak Nath)
बाबा बालक नाथ जी को हिंदू धर्म में भगवान शिव का रूप माना गया है. बाबा बालक नाथ जी के लिए कहा जाता है कि वे हर युग में जन्म लेंगे. लोगों का मानना है कि जब बाबा बालक नाथ जी 3 वर्ष के थे, तब वे अपना घर छोड़कर हिमाचल प्रदेश आ गए और उसी राज्य के बिलासपुर में शाहतलाई नामक स्थान पर रहने लगे. शाहतलाई में बाबा जी की मुलाकात माई रत्नो नाम की महिला से हुई और उसके कोई संतान नहीं थी. माई रत्नो ने बाबा जी को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया और कहा जाता है कि बाबा जी ने 12 वर्षों तक उनके यहां गाय चराई.
बाबा को क्या चढ़ाया जाता है
‘रोट’ आटे की बनी चीज है और इसे बनाने में गुड़ और घी का भी इस्तेमाल होता है और इसे भगवान को भोग लगाया जाता है. भक्तों द्वारा बाबा जी को एक बकरा भी चढ़ाया जाता है, जो उनके प्रेम को दर्शाता है. वहीं अगर आपको लगता है कि उनकी बलि दी जाती हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. बाबा जी की गुफा में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है, लेकिन महिलाओं की सुविधा के लिए गुफा के ठीक सामने एक ऊंचा चबूतरा बनाया गया है. जहां से महिलाएं दूर से ही बाबा जी के दर्शन कर सकती हैं.
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Apurva Srivastav
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