धर्म-अध्यात्म

जानिए पूजा विधि

Sonam
10 July 2023 4:01 AM GMT
जानिए पूजा विधि
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ज सावन महीने का पहला सोमवार है। सावन का महीना और इसमें पड़ने वाले हर एक सोमवार का विशेष महत्व होता है। सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखना और शिवजी की विशेष पूजा और अभिषेक करना बहुत ही लाभदायक माना जाता है। इस बार सावन के महीने में कुल 8 सोमवार व्रत रखे जाएंगे। सावन का यह महीना 31 अगस्त तक रहेगा।

मकर, कुंभ और मीन राशि वाले ऐसे करें शिव आराधना

मकर- आज सावन सोमवार पर पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें।

कुंभ- इस राशि वालों के लिए तिल के तेल से भगवान शिव का अभिषेक शुभ फलदायी साबित होगा।

मीन- दूध में केसर मिलाकर भगवान का अभिषेक करें उसके बाद पीले चंदन का तिलक लगाकर पीले पुष्प और फल अर्पित करें।

तुला, वृश्चिक और धनु राशि के लोग शिवजी को अर्पित करें ये चीजें

तुला- इस राशि के जातक दही, सुगंधित इत्र और गन्ने के रस से शिवलिंग को स्नान कराएंगे तो उनकी कामना भोलेनाथ शीघ्र पूरी करेंगे।

वृश्चिक- इस राशि वाले पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें।

धनु- गाय के दूध में केसर और गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। अष्टगंध चन्दन लगाकर पीले पुष्प अर्पित करें।

कर्क, सिंह और कन्या राशि के लोग शिवजी को ये चीजें चढ़ाएं

कर्क- इस दिन भगवान शिव को दूध,दही,घी,गंगाजल और मिश्री से अभिषेक करें।शिव मंदिर में सफ़ेद चीजों का दान करें।

सिंह- सिंह राशि वालों को जल में गुड़ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना शुभ रहेगा। भोलेनाथ का शुद्ध देसी घी से स्न्नान कराना भी फलदाई है।

कन्या- इस राशि वालों को शुभ फलों की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। दूध,शहद,बेलपत्र,मदार के पुष्प,धतूरा और भांग अर्पित करना भी शुभ रहेगा।

शिवजी को क्यों चढ़ाया जाता है भस्म

सभी देवी-देवताओं में शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवता होते हैं। अगर सच्चे मन से इन्हें मात्र एक लोटा जल अर्पित कर दें तो यह भक्त की सभी मनोकामनाओं को पूरा कर देते हैं। शिवजी का पूजा में भस्म एक बहुत ही जरूरी पूजा सामग्री मानी जाती है। शिवपुराण के अनुसार बिना भस्म चढ़ाएं शिव जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। शिवजी को भस्म चढ़ाने के पीछे पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने राजमहल में एक यज्ञ का आयोजन किया था जहां पर उन्होंने देवी सती के सामने उनके पतिदेव भोलेनाथ का अपमान किया था। शिवजी के अपमान को सुनकर देवी सती ने हवन कुंड में जलकर अपने प्राण त्याग दिए थे। जब यह बात शिव जी को मालूम हुई तब क्रोधित होकर उन्होंने सती की चिता की भस्म को अपने पूरे शरीर में लपेट कर तांडव किया था। तभी से शिव जी को भस्म लगाने की परंपरा शुरू हुई।

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