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बाबा बर्फानी के दर्शन
हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों के अलावा कई अन्य धार्मिक चीजों का भी विशेष महत्व है और इनमें से एक तीर्थ यात्रा भी है. अमरनाथ (Amarnath Yatra 2022 ) की यात्रा करना हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है. इसी कारण हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित इस मंदिर में लोग बाबा बर्फानी के समक्ष सिर झुकाकर अपनी विनती उनके समक्ष रखते हैं. इस सबसे दुर्गम तीर्थ यात्राओं में से एक माना जाता है, इसके बावजूद श्रद्धालु यहां बर्फ से बने हुए शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं.
इस बार अमरनाथ यात्रा आगामी 30 जून से शुरू हो रही है और ये 43 दिनों तक जारी रहेगी. अगर आप भी बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो पहले इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें भी जान लें.
जानें अमरनाथ यात्रा से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
1. अमरनाथ का मंदिर कश्मीर में है और यहां शिवलिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से होता है. अमरनाथ की गुफा में पानी टपकता है, जो मौसम के ठंडा होने पर बर्फ में परिवर्तित होने लगता है. ये पानी धीरे-धीरे जमने लगता है और ये शिवलिंग का आकार ले लेता है. अमरनाथ यात्रा पर निकलने वाले शिवलिंग के इस रूप का दर्शन करने के लिए यहां आते हैं.
2. पौराणिक कथाओं के मुताबिक अमरनाथ धाम का संबंध भगवान शिव की पहली पत्नी और माता सती से जुड़ा हुआ है. ऐसा माना जाता है कि माता सती का कंठ इस जगह पर गिरा था और ये जगह 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस गुफा में महामाया शक्तिपीठ मौजूद है. माता सती और शिव से इस जगह का संबंध होने के चलते हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है.
3. अमरनाथ गुफा की खोज को लेकर भी बहुत सी पौराणिक कथाएं सुनने को मिलती हैं. शास्त्रों की मानें तो इस गुफा की खोज सबसे पहले ऋषि भृगु ने की थी.
4. कहा जाता है कि इस गुफा में भगवान शिव ने कई सालों तक तपस्या की थी और यहीं उन्होंने माता पार्वती को अमर कथा सुनाई थी. मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर होने के प्रवचन दे दिए थे.
5. ठंडे मौसम में पानी बर्फ की बूंदों का रूप ले लेता है और यह हिमलिंग चंद्र कलाओं के साथ धीरे-धीरे 15 दिनों तक बढ़ता रहता है. शिवलिंग चंद्रमा के घटने के साथ घटना शुरू करता है और पूर्णिमा को कथित तौर पर लुप्त हो जाता है.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Gulabi Jagat
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