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धर्म-अध्यात्म
जानिए कार्तिकेय के अपहरण की रोचक कथा के बारे में
Ritisha Jaiswal
13 April 2021 8:24 AM GMT
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माता पार्वती की गोद भराई की रस्म संपन्न होने के पश्चात स्वर्ग में देवराज इंद्र ने वरुण देव यक्ष और गन्धर्वों से प्रसन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि माता पार्वती की गोद भराई का महोत्सव बहुत ही धूम धाम से संपन्न हुआ है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | माता पार्वती की गोद भराई की रस्म संपन्न होने के पश्चात स्वर्ग में देवराज इंद्र ने वरुण देव यक्ष और गन्धर्वों से प्रसन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि माता पार्वती की गोद भराई का महोत्सव बहुत ही धूम धाम से संपन्न हुआ है. परन्तु, साथ ही इंद्र देव ने चिंता व्यक्त की कि ताड़कासुर ने अनेक बार माता पार्वती के वध का प्रयास कर चुका है और अब तो उसके इस प्रकार के प्रयास निरंतर होंगे क्यूंकि माता पार्वती के गर्भ से उसका काल जन्म लेने वाला है.
इंद्र देव ने कहा कि पांच देवता गुप्त रूप से कैलाश जाएंगे और दृष्टि रखेंगे की ताड़कासुर माता पार्वती तक न पहुंच पाए. तब पांच देवता पांच कबूतरों का रूप लेकर कैलाश पर विचरण करने लगे. जब इन कबूतरों को महादेव और माता पार्वती ने देखा तो वो आश्चर्य में पड़ गए कि अचानक ये कैलाश पर कबूतर कहां से आए. पांचो ने अपना वास्तविक रूप दिखाकर भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम किया और अपने वहां उपस्थित होने का कारण बताया. परन्तु इसी दौरान ताड़कासुर कैलाश पहुंचा और छुपकर पूरी वार्तालाप को उसने सुन लिया. इस प्रकार उसे ये ज्ञात हो गया कि उस पर दृष्टि रखने के लिए पांच देवता कैलाश पर उपस्थित हैं. इसके प्रश्चात ताड़कासुर ने एक षड्यंत्र रचा.
तो आइए जानते हैं कि ये षड्यंत्र क्या था और इसका आरम्भ कैसे हुआ?
ये महादेव और पार्वती पुत्र कार्तिकेय के जन्म का समय था. महाराजा हिमालय और उनकी पत्नी कैलाश जाने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने अपने साथ निर्मला नाम की दाई को भी ले जाने का निश्चय किया. इन्हें निर्मला दाई के नाम से जाना जाता था. यही निर्मला दाई माता पार्वती के जन्म के समय में भी थीं. महाराजा ने निर्मला दाई को बुलाने के लिए महामंत्री को भेजा. इसी बीच ताड़कासुर ने ये पता लगा लिया की माता पार्वती के माता-पिता निर्मला दाई को कैलाश ले जा रहे हैं.
महामंत्री के पहुंचने से पूर्व ताड़कासुर निर्मला दाई की कुटिया में पहुंचा और उनका वध करके स्वयं उनका रूप धारण कर लिया और इस प्रकार निर्मला दाई के रूप में ताड़कासुर कैलाश पहुंच गया और बच्चे का जन्म होते ही ताड़कासुर ने उसे गोद में उठाते हुए माता पार्वती को आराम करने के लिए कहा. जैसे ही माता पार्वती निंद्रा की स्थिति में आईं तभी निर्मला दाई के रूप धारण किया हुआ ताड़कासुर उनके कक्ष से शिशु को लेकर अदृश्य हो गया.
कुछ समय पश्चात जब माता पार्वती नींद से जागीं तो शिशु को वहां न देख चिंतित हो उठीं. माता पार्वती समझ गई थीं कि उनके पुत्र को ताड़कासुर ही ले गया है. उन्होंने घोषणा की कि अगर मेरा पुत्र नहीं मिला तो मैं सम्पूर्ण सृष्टि को अपने क्रोधाग्नि में भष्म कर दूंगी. माता पार्वती को इतना विचलित देख भगवान ब्रम्हा और भगवान विष्णु कैलाश पधारे और भगवान विष्णुजी ने माता पार्वती जी से कहा आप चिंतित न हों ब्रम्हा जी की भविष्यवाणी है कि आपका यही पुत्र सात मास की आयु में ताड़कासुर का वध करेगा.
उधर, ताड़कासुर ने इस बालक को हिमालय की शिखर से नीचे फेंक दिया. ये बालक कैलाश पर पहरा दे रहे पांच देवताओ में से एक अग्नि देव की गोद में जा गिरा. यं बालक बहुत अधिक रो रहा था. इस रोते हुए बालक की आवाज सुनकर वहां देवी गंगा पहुंची और बालक को अपने साथ ले गईं. माता गंगा बालक को रोता देख समझ गई थीं कि बालक भूखा है इसलिए उन्होंने कृतिकाओं का स्मरण किया. तब इन कृतिकाओं ने बालक को स्तनपान कराके शांत किया. क्यूंकि बालक ने पहली बार कृतिकाओं का स्तन पान किया इसलिए देवी गंगा ने इस बालक नाम कार्तिकेय रखा.
ताड़कासुर को विश्वास हो गया था कि उस बालक की मृत्यु हो चुकी है इसलिए उसने अपने महल में उत्सव मनाने की घोषणा की क्यूंकि उसका वध करने वाला पूरे ब्रह्माण्ड में अब कोई नहीं था. उधर, अग्नि देव की भेंट इंद्र देव से हुई तब देवराज ने इस दुर्घटना की जानकारी अग्नि देव को दी. तब अग्नि देव ने बताया कि एक बालक उनकी गोद में आकर गिरा था
दूसरी ओर, बालक की खोज कर रहे वीरभद्र की भेंट देवी गंगा से हुई और वीरभद्र ने पूरी स्थिति के विषय में माता गंगा को सूचना दी. उसी क्षण इंद्र देव और अग्निदेव भी वहां पहुंचे और उस बालक का सत्य बताते हुए कहा कि ये देवी गंगा की बहिन पार्वती का पुत्र है. ये सुन गंगा प्रसन्नचित्त हो उठीं और वो सभी कैलाश की ओर प्रस्थान कर गए. उधर, माता पार्वती पुत्र वियोग में अग्नि में भष्म होने जा रही थीं तभी वहां पहुंचकर उनकी बड़ी बहन ने जल प्रवाहित कर अग्नि को बुझा दिया और माता पार्वती को उनका पुत्र सौंप दिया. इस प्रकार कैलाश में बहुत अद्भुत दृश्य देखने को मिला
Ritisha Jaiswal
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