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15 मार्च से शुरू होंगे खरमास, इस दौरान ना करे कोई शुभ कार्य
जल्द ही खरमास शुरू होने जा रहे हैं। हिंदू धर्म में खरमास का विशेष महत्व होता है। खरमास जैसी कि इसके नाम से स्पष्ट होता है खराब महीना या दूषित माह। 15 मार्च से सूर्य के कुंभ राशि से निकलकर गुरू की राशि मीन में प्रवेश करते ही खरमास आरंभ हो जाएगा। करीब एक महीने तक सूर्य के मीन राशि में रहने के बाद मेष राशि में आने के बाद खरमास खत्म हो जाएगा। खरमास के महीने में सभी तरह शुभ कार्य वर्जित माने गए है। खरमास के लगते ही विवाह जैसे कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान थम जाएंगे।
ज्योतिष शास्त्र में खरमास का महत्व
ज्योतिष में गुरु ग्रह का विशेष महत्व होता है। गुरु बहुत ही शुभ फल प्रदान करने वाले ग्रह माने गए हैं। ये विवाह और धार्मिक कार्यकलापों के कारक ग्रह है। सभी 12 राशियों में से धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह बृहस्पति देव होते हैं। जब भी इन राशियों में सूर्य देव आते हैं तब खरमास शुरू हो जाते हैं। ज्योति शास्त्र के अनुसार जब भी सूर्य की राशि में गुरु या फिर गुरु की राशि में सूर्यदेव आते हैं इसे गुर्वादित्य कहा जाता है। इस दौरान सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं।
ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्य का मीन राशि में प्रवेश 14- 15 मार्च की मध्य रात्रि में होगा। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही मीन संक्रांति आरंभ हो जाएगी। सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही गुरु का प्रभाव कम हो जाता है। इसी को खरमास या मलमास का महीना कहा जाता है। यह एक वर्ष में दो बार आता है। खरमास के दिनों में सूर्य देव धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इसके चलते बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है। वहीं, गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का कारक माना जाता है। लड़कियों की शादी के कारक गुरु माने जाते हैं। गुरु कमजोर रहने से शादी में देर होती है। साथ ही रोजगार और कारोबार में भी बाधा आती है। इसके चलते खरमास के दिनों में कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। विवाह के लिए शुक्र और गुरु दोनों का उदय होना आवश्यक है। यदि दोनों में से एक भी अस्त होगा तो मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
खरमास के नियम
धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास के महीने में पूजा-पाठ,तीर्थ यात्रा,मंत्र जाप,भागवत गीता,रामायण पाठ और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। खरमास के दौरान दान,पुण्य,जप और भगवान का ध्यान लगाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल,रोली या लाल चंदन,शहद लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इस महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत फलदाई है।
खरमास में क्या न करें
ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस महीने में मुंडन,गृहप्रवेश,सगाई एवं शादी-विवाह आदि जैसे मांगलिक कार्य करना अशुभ माना गया है। खरमास महीने में मकान,जमीन,प्लॉट या रियल स्टेट से जुड़ी चीजों का क्रय करना अच्छा नहीं माना गया है।