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धर्म-अध्यात्म
केदारनाथ धाम के खुले कपाट, जानें केदारनाथ की रोचक तथ्य
Tara Tandi
17 May 2021 7:10 AM GMT
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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है
जनता से रिश्त वेबडेसक | भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है केदारनाथ धाम। केदारनाथ मंदिर के कपाट आज सुबह पांच बजे विधिपूर्वक खोल दिए गए। अब यहां पर अगले 6 माह तक भगवान केदार की पूजा होगी। फिलहाल कोरोना महामारी को देखते हुए उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित इस मंदिर में आमलोगों के आने पर प्रतिबंध है। आज से अगले 6 माह तक केदारनाथ मंदिर में भगवान केदार की आराधना होगी। आज इस पावन अवसर पर हम आपको केदारनाथ मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं।
6 माह ही होते हैं केदारनाथ के दर्शन
भगवान केदार के दर्शनों के लिए बैशाखी बाद इस मंदिर को खोला जाता है और 6 माह बाद दीपावली के बाद पड़वा को केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। बर्फबारी के कारण 6 माह तक मंदिर बंद रहता है।
6 माह तक जलता रहता है दीपक
मंदिर जब बंद होता है तो पुजारी धाम के अंदर दीपक जलाकर जाते हैं। फिर 6 माह बाद गर्मियों में जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तो वह दीपक जलता हुआ मिलता है।
पांडवों से जुड़ी है केदारनाथ मंदिर की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्वापर युग में पांडवों ने महाभारत का युद्ध जीत लिया, उसके बाद वे आत्मग्लानि से भर गए क्योंकि वे अपने भाइयों, रिश्तेदारों के वध से काफी दुखी हो गए थे। वे इस पाप से मुक्त होना चाहते थे। तब वे भगवान शिव के दर्शनों के लिए काशी पहुंचे।
भगवान शिव को जब पता चला तो वे नाराज होकर केदार आ गए। पांडव भी महादेव के पीछे-पीछे केदार तक चले आए। तब भगवान शिव बैल का रुप धारण कर लिए और पशुओं के झुंड में शामिल हो गए। तब भीम ने विशाल रुप धारण किया और दो पहाड़ों पर अपने पैर फैला दिए। सभी पशु उनक पैर के नीचे से चले गए, लेकिन महादेव नहीं गए। वे अंतर्ध्यान होने लगे, तभी भीम ने उनकी पीठ पकड़ ली।
पांडवों की दर्शन की चाह देखकर शिव जी प्रसन्न हो गए और दर्शन दिए। तब पांडव पाप से मुक्त हो गए। उसके बाद पांडवों ने वहां पर मंदिर का निर्माण कराया। उस केदारनाथ मंदिर में आज भी बैल की पीठ की आकृति-पिंड के रूप में पूजा जाता है।
डिसक्लेमर
'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'
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Tara Tandi
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