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धर्म-अध्यात्म
नृसिंह जयंती पर बस करे ये काम, सभी कष्टों से मिलेगा छुटकारा
Teja
13 May 2022 1:07 PM GMT
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हिंदू धर्म में नृसिंह जयंती का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान के साथ नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदू धर्म में नृसिंह जयंती का विशेष महत्व है. इस दिन विधि-विधान के साथ नृसिंह भगवान की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन नृसिंह भगवान ने अवतार लिया था. अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह भगवान का अवतार लिया था. हिरण्यकश्यप का वध करके नृसिंह भगवान ने भक्त प्रह्लाद को सभी संकंटों और भय से दूर कर दिया था.
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार नृसिंह जयंती के अवसर पर नृसिंह चालीसा का पाठ करने से संकटों को दूर किया जा सकता है. इस पाठ को करने से नृसिंह भगवान प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं. अगर आप इस दिन मंत्र जाप या पूजा आदि नहीं कर सकते हैं, तो सिर्फ नृसिंह चालीसा से ही भगवान का आशीर्वाद पाया जा सकता है.
श्री नृसिंह चालीसा
मास वैशाख कृतिका युत, हरण मही को भार।
शुक्ल चतुर्दशी सोम दिन, लियो नरसिंह अवतार।।
धन्य तुम्हारो सिंह तनु, धन्य तुम्हारो नाम।
तुमरे सुमरन से प्रभु, पूरन हो सब काम।।
नरसिंह देव में सुमरों तोहि, धन बल विद्या दान दे मोहि।
जय-जय नरसिंह कृपाला, करो सदा भक्तन प्रतिपाला।।
विष्णु के अवतार दयाला,महाकाल कालन को काला।
नाम अनेक तुम्हारो बखानो, अल्प बुद्धि में ना कछु जानो।।
हिरणाकुश नृप अति अभिमानी, तेहि के भार मही अकुलानी।
हिरणाकुश कयाधू के जाये, नाम भक्त प्रहलाद कहाये।।
भक्त बना बिष्णु को दासा, पिता कियो मारन परसाया।
अस्त्र-शस्त्रमारे भुज दण्डा, अग्निदाह कियो प्रचंडा।।
भक्त हेतु तुम लियो अवतारा, दुष्ट-दलन हरण महिभारा।
तुम भक्तन के भक्त तुम्हारे, प्रह्लाद के प्राण पियारे।।
प्रगट भये फाड़कर तुम खम्भा, देख दुष्ट-दल भये अचंभा।
खड्ग जिह्व तनु सुंदर साजा, ऊर्ध्व केश महादृष्ट विराजा।।
तप्त स्वर्ण सम बदन तुम्हारा, को वरने तुम्हरो विस्तारा।
रूप चतुर्भुज बदन विशाला, नख जिह्वा है अति विकराला।।
स्वर्ण मुकुट बदन अति भारी, कानन कुंडल की छवि न्यारी।
भक्त प्रहलाद को तुमने उबारा, हिरणा कुश खल क्षण मह मारा।।
ब्रह्मा, बिष्णु तुम्हें नित ध्यावे, इंद्र-महेश सदा मन लावे।
वेद-पुरा तुम्हरो यश गावे, शेष शारदा पारन पावे।।
जो नर धरो तुम्हरो ध्याना, ताको होय सदा कल्याना।
त्राहि-त्राहि प्रभु दु:ख निवारो, भव बंधन प्रभु आप ही टारो।।
नित्य जपे जो नाम तिहारा, दु:ख-व्याधि हो निस्तारा।
संतानहीन जो जाप कराये, मन इच्छित सो नर सुत पावे।।
बंध्या नारी सुसंतान को पावे, नर दरिद्र धनी होई जावे।
जो नरसिंह का जाप करावे, ताहि विपत्ति सपने नहीं आवे।।
जो कामना करे मन माही, सब निश्चय सो सिद्ध हुई जाही।
जीवन मैं जो कछु संकट होई, निश्चय नरसिंह सुमरे सोई।।
रोग ग्रसित जो ध्यावे कोई, ताकि काया कंचन होई।
डाकिनी-शाकिनी प्रेत-बेताला, ग्रह-व्याधि अरु यम विकराला।।
प्रेत-पिशाच सबे भय खाए, यम के दूत निकट नहीं आवे।
सुमर नाम व्याधि सब भागे, रोग-शोक कबहूं नहीं लागे।।
जाको नजर दोष हो भाई, सो नरसिंह चालीसा गाई।
हटे नजर होवे कल्याना, बचन सत्य साखी भगवाना।।
जो नर ध्यान तुम्हारो लावे, सो नर मन वांछि
बनवाए जो मंदिर ज्ञानी, हो जावे वह नर जग मानीb
नित-प्ठ करे इक बारा, सो नर रहे तुम्हारा प्यारा।
नरसिंह चालीसा जो जन गावे, दु:ख-दरिद्र ताके निकट न आवे।।
चालीसा जो नर पढ़े-पढ़ावे, सो नर जग में सब कुछ पावे।
यह श्री नरसिंह चालीसा, पढ़े रंक होवे अवनीसा।।
जो ध्यावे सो नर सुख पावे, तोही विमुख बहु दु:ख उठावे।
शिवस्वरूप है शरण तुम्हारी, हरो नाथ सब विपत्ति हमारी।।
चारों युग गायें तेरी महिमा अपरंपार।
निज भक्तनु के प्राण हित लियो जगत अवतार।।
नरसिंह चालीसा जो पढ़े प्रेम मगन शत बार।
उस घर आनंद रहे वैभव बढ़े अपार।।
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