धर्म-अध्यात्म

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करे शनिदेव और गणेश जी की पूजा

Apurva Srivastav
10 March 2023 6:59 PM GMT
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करे शनिदेव और गणेश जी की पूजा
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हिंदू धर्म में शनि देव को बहुत माना जाता है. उनके प्रकोप से लोग डरते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर तरह की पूजा विधि को करते हैं. ऐसी मान्यता है कि शनि देव के क्रोधित होने पर इंसान संकट में आ जाता है और उस संकट को दूर करने के लिए उनकी पूजा करता है. संकट को दूर करने की पूजा आप संकष्टी चतुर्थी के दिन भी कर सकते हैं. 11 मार्च को चैत्र संकष्टी चतुर्थी पड़ी है जिसे भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. शनिदेव और गणेश भगवान की पूजा करने का ये खास संयोग बना है जिससे आपके सभी संकट दूर होंगे.
शनिदेव और गणेश जी की इस विधि से करें पूजा (Chaitra Sankashti Chaturthi 2023)
11 मार्च दिन शनिवार को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का पर्व पड़ा है जिसे चैत्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ आप शनिदेव की पूजा भी कर सकते हैं. शनिदेव के प्रकोप से इंसान अपने जीवन में संकटों से घिर जाता है और गणेश भगवान की पूजा करने से संकट दूर होता है. इस संयोग में अगर आप दोनों की साथ में पूजा करेंगे तो कृपा विशेष रूप से होती है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आपको उनके मंदिर में जाकर तेल से दीपक जलाकर उसमें तिल के दाने डालकर शनि देव को अर्पित करें और चालिसा पढ़कर आरती करें. इसके साथ ही भगवान गणेश जी को लड्डू का भोग लगाकर उनकी भी पूजा चालिसा और आरती के साथ करें.
चैत्र संकष्टी चतुर्थी प्रारंभ- 9 बजकर 42 मिनट (10 मार्च, 2023 दिन शुक्रवार) पर होगा.
चैत्र संकष्टी चतुर्थी समाप्त- 10 बजकर 05 मिनट (11 मार्च, 2023 दिन शनिवार) पर होगा.
चंद्रोदय का समय 10.03 बजे का है.
भगवान गणेश जी की और शनि देव की पूजा अगर आप घर पर करते हैं तो उनकी तस्वीरें साथ में रखें. इसके बाद गणेश जी और शनिदेव की चालिसा करने के बाद दोनों की आरती साथ में करें. उन्हें भोग में अपनी सामर्थ्य अनुसार चीजें चढ़ाएं और जरूरतमंदों को अपनी सामर्थ्य अनुसार चीजें दान करें या उन्हें खाना खिलाएं. इससे आपके ऊपर कृपा बनी रहेगी और आपके संकट भी दूर होंगे.
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