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धर्म-अध्यात्म
इस लोगों के घर नहीं करना चाहिए भोजन, बनेंगे पाप के भागीदार
Teja
23 April 2022 10:04 AM GMT
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गरुण पुराड़ (Garuda Purana) 18 पुराणों में से एक है. इसमें श्री हरि नारायण (Shri Hari Narayan) और गरुड़ पक्षी के बीच हुई
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गरुण पुराड़ (Garuda Purana) 18 पुराणों में से एक है. इसमें श्री हरि नारायण (Shri Hari Narayan) और गरुड़ पक्षी के बीच हुई बातचीत के बारे में बताया गया है. कहते हैं कि घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ (Garuda Puaran Path) अवश्य कराना चाहिए. क्योंकि गरुड़ पुराण मृत्यु और मृत्यु के बाद के पूरे घटनाक्रम की स्थिति का बखान करता है. इस पुराण में कई ऐसी बातों का जिक्र मिलता है जो मनुष्य को मुक्ति दिलाने में सहायक हैं. गरुड़ पुराण में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है जिनके घर भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए अन्यथा आपको मान-सम्मान की हानि के साथ अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है, तो चलिए जानते हैं
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि किसी चोर या अपराधी के घर भोजन करने से आप भी पाप के भागीदार बन सकते हैं. इतना ही नहीं, कहते हैं कि आपके विचार भी उन्हीं की तरह दूषित हो जाते हैं. इसलिए ऐसे लोगों के घर भोजन करने से बचना चाहिए.
सूदखोर व्यक्ति
गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि गलत तरीके से कमाया हुआ पैसा हमेशा अशुभ फल ही देता है. दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाकर कमाए गए पैसे वाले व्यक्ति के घर भूलकर भी भोजन न करें.
नशे का कारोबार करने वाला व्यक्ति
नशे का कारोबार करने वाला व्यक्ति न जाने कितने लोगों की जिंदगी बर्बाद करता है. इतना ही नहीं, उनके परिवार के लिए भी मुश्किलें खड़ी करता है. गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे लोगों के घर कदम रखना भी पाप होता है. ऐसे लोगों के घर किया गया भोजन आपको पाप का भागीदार बना सकता है.
बीमार व्यक्ति
अगर किसी व्यक्ति के घर लंबे समय से बीमारी फैल रही है, तो ऐसे व्यक्ति के घर जाने से भी बचें. कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति के घर जाने से बैक्टीरिया फैल सकता है. इससे आपके घर भी बीमारियां पनपने का डर है.
चरित्रहीन स्त्रि
गरुड़ पुराण के अनुसार चरित्रहीन स्त्रि के घर भी भोजन भूलकर नहीं करना चाहिए. जिसका चरित्र खराब है उसके घर कदम रखना भी आपके चरित्र पर उंगलियां उठा सकता है. ऐसे में भूलकर भी इस तरह के लोगों के कदम न रखें.
क्रोधीव्यक्ति
जो जैसा खात है अन्न, उसका वैसा ही रहता है मन, यह कहावत हम अपने बुजुर्गों के मुंह से हमेशा सुनते चले आ रहे हैं. जो व्यक्ति जैसा भोजन करता है उसका मन भी वैसा ही हो जाता है, इसलिए कभी भी क्रोधी व्यक्ति के घर का भोजन नहीं करना चाहिए.
Teja
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