धर्म-अध्यात्म

मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी नाम होने के कारण

Ritisha Jaiswal
3 April 2022 4:19 PM GMT
मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी नाम होने के कारण
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चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है।

चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। आज के दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है। आज के दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से हर काम में सफलता प्राप्ति होती है। जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, भोग, आरती और मंत्र।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप को ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजा जाता है। जहां 'ब्रह्म' का अर्थ तपस्या है और 'ब्रह्मचारिणी' का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली यानी तप का आचरण करने वाली देवी।
शुभ मुहूर्त
चैत्र मास की द्वितीया तिथि- 2 अप्रैल सुबह 11 बजकर 58 मिनट से 3 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक
तृतीया तिथि- 3 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 38 मिनट से 4 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग - 03 अप्रैल सुबह 06 बजकर 21 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी नाम होने के कारण
मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर में पुत्री के रूप में हुआ था। भगवान शिव से शादी के लिए नारद जी ने मां पार्वती को व्रत रखने की सलाह दी थी। भगवान शिव को पाने के लिए देवी मां ने निर्जला, निराहार होकर कठोर तपस्या की थी। हजारों साल तपस्या करने के बाद ही मां पार्वती को तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है यानी तपस्या का मूर्तिमान रूप है
मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके वस्त्र पहन लें। इसके बाद कलश की पूजा विधिवत तरीके से करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। सबसे पहले मां को जल अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला, रोली, सिंदूर आदि चढ़ा दें। इसके बाद एक पान में सुपारी, लौंग, इलायची और बताशा चढ़ा दें। फिर भोग में मिठाई या फिर शक्कर का भोग लगाएं। इसके बाद फूल के माध्यम से जल अर्पित कर दें। फिर घी का दीपक और धूप बत्ती जला दें और दुर्गा चालीसा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद हाथ में एक फूल लेकर मां का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें। अंत में फूल मां के चरणों में अर्पित कर दें और विधिवत तरीके से आरती कर लें।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा करने के साथ इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप जरूर करें। इससे मां दुर्गा की कृपा हमेशा आपके ऊपर बनी रहेगी और आपको हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी।
मंत्र-
1- 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:'
2- ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते.
3- या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।


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