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धर्म-अध्यात्म
युवावस्था में गलत चीजें करती हैं प्रभावित, जीवन को बर्बाद कर देती हैं ऐसी आदतें
Tulsi Rao
5 Jan 2022 10:57 AM GMT
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जिनका जिक्र चाणक्य नीति नामक पुस्तक में मिलता है. चाणक्य ने युवाओं के लिए क्या संदेश दिया है इसे जानते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आचार्य चाणक्य कुशल समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ एक कुशल शिक्षक भी थे. शिक्षक के तौर पर चाणक्य की पहचान देश ही नहीं, बल्कि सात समंदर पार भी थी. चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य रहे. आचार्य चाणक्य ने युवा वर्ग के लिए कुछ जरूरी बातें बताई हैं. जिनका जिक्र चाणक्य नीति नामक पुस्तक में मिलता है. चाणक्य ने युवाओं के लिए क्या संदेश दिया है इसे जानते हैं.
युवावस्था है धन के समान
आचार्य चाणक्य के मुताबिक युवा अवस्था एक धन के समान है. जिस प्रकार धर्म में साधना का महत्व है, उसी तरह युवा अवस्था में हर इंसान को ज्ञान और संस्कार पाने के लिए शरीर को तपाना पड़ता है. जब जाकर इंसान के व्यक्तित्व में निखार आता है. चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को भविष्य में अच्छे जीवन के लिए युवावस्था में ही तपना पड़ता है. ऐसे में हर युवा को युवावस्था में सजग और सतर्क रहना चाहिए. क्योंकि इस उम्र में थोड़ी लापरवाही भी भविष्य में भारी पड़ती है. इसलिए युवावस्था में हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए.
गलत संगती से बनाएं दूरी
संगत का सीधा असर इंसान के जीवन पर पड़ता है. ऐसे में चाणक्य ने कहा है कि दोस्ती करते वक्त बहुत सावधान रहना चाहिए. अच्छे लोगों से संगति करने पर जीवन को नई दिशा मिलती है. जबकि गलत संगत में आने पर इंसान भविष्य अंधकारमय हो जाता है.
नशे से दूर रहना चाहिए
युवावस्था में गलत चीजें अधिक प्रभावित करती हैं. इस उम्र यदि गलत आदतें गल जाती हैं तो इससे छुटकारा पाना बहुत मुश्किल होता है. युवावस्था नशे की लत लग सकती है. नशे की लत खुद के जीवन को बर्बाद करने के साथ साथ आसपास के आसपास के लोगों पर भी असर डालता है. इसलिए इस उम्र में नशे से दूर रहना चाहिए.
सेहत का खास ख्याल रखें
युवावस्था हर युवक को सेहत पर खास ख्याल रखना चाहिए. क्योंकि युवावस्था में ही स्वास्थ्य को तरासा जाता है. जिसका लाभ भविष्य में भी मिलता रहता है. चाणक्य के मुताबिक शरीर तंदुरुस्त होगा तो मन भी अच्छा रहेगा. साथ ही मस्तिष्क अच्छा काम करेगा. बेहतर ढंग से कार्य करेगा. जो भविष्य निर्माण में सहायक होता है. इसलिए इस उम्र में पौष्ठिक भोजन करना चाहिए
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