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धर्म-अध्यात्म
गुरुवार के दिन करें ये काम, भगवान विष्णु का मिलेगा आशीर्वाद
Tara Tandi
17 May 2023 2:08 PM GMT
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सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता हैं वही गुरुवार का दिन विष्णु पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं। भक्त इस दिन भगवान की पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा भक्तों पर बरसती हैं लेकिन इसी के साथ अगर गुरुवार के दिन बृहस्पति स्तोत्र का भक्ति भाव से पाठ किया जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अविवाहितों का शीघ्र विवाह भी हो जाता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
॥ विष्णु शान्ताकारं मंत्र ॥
शान्ताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगन सदृशं मेघवर्ण शुभांगम् ।
लक्ष्मीकांत कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णु भवभयहरं सर्व लौकेक नाथम् ॥
यं ब्रह्मा वरुणैन्द्रु रुद्रमरुत: स्तुन्वानि दिव्यै स्तवैवेदे: ।
सांग पदक्रमोपनिषदै गार्यन्ति यं सामगा: ।
ध्यानावस्थित तद्गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो
यस्यातं न विदु: सुरासुरगणा दैवाय तस्मै नम: ॥
बृहस्पति स्तेत्र पाठ—
क्रौं शक्रादि देवै: परिपूजितोसि त्वं जीवभूतो जगतो हिताय।
ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम्।।1।।
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटश्र्वतुर्भजो देव गुरु: प्रशांत:।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च तथाक्षसूत्रं वरदोस्तुमहम्।।2।।
ब्रहस्पति: सुराचार्योदयावानछुभलक्षण:।
लोकत्रयगुरु: श्रीमान्सर्वज्ञ: सर्वतो विभु:।।3।।
सर्वेश: सर्वदा तुष्ठ: श्रेयस्क्रत्सर्वपूजित:।
अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नितिकर्ता महाबल:।।4।।
विश्र्वात्मा विश्र्वकर्ता च विश्र्वयोनिरयोनिज:।
भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पति:।।5।।
पंचविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च।
नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च।।6।।
प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत्तु समाहितः।
विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीत: स च न संशय:।।7।।
तंत्रान्तरेपि नम: सुरेन्द्रवन्धाय देवाचार्याय ते नम:।
नमस्त्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्वान्तपारग।।8।।
सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीड़ाहराय च।
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे।।9।।
नमोऽद्वितियरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:।
नम: प्रहष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:।।10।।
नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक।
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे।।11।।
विषमस्थस्तथा न्रणां सर्वकष्टप्रणाशमन्।
प्रत्यहं तु पठेधो वै तस्यकामफलप्रदम्।।12।।
गुरु स्तोत्र पाठ—
पीताम्बर: पीतवपु: किरीटी,
चतुर्भुजो देवगुरु: प्रशान्त: ।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च,
तथाक्षसूत्रं वरदोस्तु मह्यम ॥1॥
नम: सुरेन्द्रवन्द्याय देवाचार्याय ते नम: ।
नमस्त्वनन्तसामर्थ्यं देवासिद्धान्तपारग ॥2॥
सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीडाहराय च ।
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे ॥3॥
नमोsद्वितीयरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम: ।
नम: प्रह्रष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम: ॥4॥
नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक: ।
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे ॥5॥
विषमस्थस्तथा नृणां सर्वकष्टप्रणाशनम ।
प्रत्यहं तु पठेद्यो वै तस्य कामफलप्रदम ॥6॥
Tara Tandi
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