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: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा को समर्पित किया गया है। इस दिन भक्त शनि महाराज को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत उपवास भी रखते हैं।
मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ के साथ साथ अगर श्री शनि मंदिर जाकर को सरसों तेल अर्पित करते हुए श्री शनि स्तोत्र का पाठ किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को निरोगी व दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आएं हैं संपूर्ण श्री शनि स्तोत्र पाठ, तो आइए जानते हैं।
श्री शनिदेव स्तोत्र—
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते ॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च ॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते ॥
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत: ॥
प्रसाद कुरु मे देव वाराहोऽहमुपागत ।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल: ॥
Tara Tandi
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