धर्म-अध्यात्म

होलिका दहन पर आज ये उपाय, जरूर करें बदल जाएगी किस्मत हो जांएगे मालामाल

Teja
17 March 2022 6:57 AM GMT
होलिका दहन पर आज ये उपाय, जरूर करें बदल जाएगी किस्मत हो जांएगे मालामाल
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होली से एक दिन पहले आज देशभर में होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। धर्म शास्त्र में होलिका दहन का खास महत्व है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | होली से एक दिन पहले आज देशभर में होलिका दहन का पर्व मनाया जाएगा। धर्म शास्त्र में होलिका दहन का खास महत्व है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक होलिका दहन सुख-समृद्धि और धन-वैभव के लिहाज से बेहद खास होता है।

मान्यता के मुताबिक होलिका दहन के बाद परिक्रमा करते हुए अगर अपनी इच्छा कह दी जाए तो वो सच हो जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि होलिका दहन के दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। होलिका की बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन सुबह अपने घर ले जाने से सभी नकारात्मक उर्जा दूर होती है।
ऐसे करें होलिका दहन
होलिका दहन के स्थान को जल साफ करें, अगर संभव हो तो गंगाजल से शुद्ध करें। होलिका डंडा बीच में रखें, यह डंडा भक्त प्रहलाद का प्रतीक होता है। इसके बाद डंडे के चारों तरफ पहले चन्दन लकड़ी डालें। इसके बाद सामान्य लकड़ियां, उपले और घास चढ़ाएं। इसके बाद कपूर से अग्नि प्रज्वलित करें। होलिका दहन में पहले श्री गणेश हनुमान जी और शीतला माता भैरव जी की पूजा करें। अग्नि में रोली, पुष्प, चावल, साबूत मूंग, हरे चने, पापड़, नारियल आदि चीजें चढ़ाएं। इसके साथ ही मन्त्र -ॐ प्रह्लादये नमः को बोलते हुए परिक्रमा करें।
होलिका की अग्नि में अर्पित करें ये चीज
अच्छे स्वास्थ्य के लिए के लिए होलिका की अग्नि में काले तिल के दाने अर्पित करना चाहिए। बीमारी से मुक्ति के लिए होलिका की अग्नि में हरी इलाइची और कपूर अर्पित करें। धन लाभ के लिए लिका की अग्नि चन्दन की लकड़ी अर्पित करें। रोजगार के लिए होलिका की अग्नि में पीली सरसों अर्पित करें। विवाह और वैवाहिक समस्याओं के लिए हवन सामग्री अर्पित करें।
होलिका पूजन मंत्र
अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्तां पूजयिष्यामि भूति भूति प्रदायिनीम।
नवविवाहित महिलाओं को जलती हुई होलिका नहीं देखनी चाहिए
मान्यता के मुताबिक नवविवाहित महिलाओं को जलती हुई होलिका बिल्कुल नहीं देखनी चाहिए। इसके पीछे की वजह ये मानी जाती है कि होलिका में एक पुराने साल की बुरी बलाओं को जलाया जाता है। इसका अर्थ ये भी माना जाता है कि आप पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं। होलिका की आग को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मान्यता है कि नवविवाहित कन्याओं को होलिका से उठती लपटों को नहीं देखना चाहिए। साथ ही ये भी मान्यता है कि गर्भवती महिलाओं को भी होलिका दहन करने नहीं देखना चाहिए।
होली से जुड़ी प्रचलित कहानी
होली पर्व से जुड़ी हुई अनेक कहानियां हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था। उसने अपने राज्य में भगवान के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद विष्णु भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग कभी भी नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नहीं सकती। हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आदेश का पालन हुआ, परन्तु आग में बैठने पर होलिका तो आग में जलकर भस्म हो गई, परन्तु प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।
अधर्म पर धर्म की, नास्तिक पर आस्तिक की जीत के रूप में भी देखा जाता है। उसी दिन से प्रत्येक वर्ष ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलिका जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।


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