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धर्म-अध्यात्म
पूजाघर से जुड़े ये 10 वास्तु टिप्स जरूर करे जल्द मिलेंगी मनचाहे कामों में सफलता
Teja
8 April 2022 5:24 AM GMT
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वास्तु के नियमों के अनुसार पूजाघर का ईशान कोण यानि उत्तर- पूर्व की दिशा में होना चाहिए. लेकिन इसके अलावा भी पूजाघर को लेकर वास्तु शास्त्र के कई जरूरी नियम हैं, जिनके पालन पर ध्यान दिया जाना चाहिए. वास्तुशास्त्र के नियम घर में सरकारात्मकता लाने और जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने के सूत्र माने गए हैं. प्राचीन भारतीय वास्तु की अवधारणा घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह पर आधारित है. इसमें पंच तत्वों की भूमिका भी बहुत अहम होती है. इसी आधार पर वास्तु के ये नियम उन घरों या परिवारों के लिए विशेष हैं, जो अपने घरों में पूजाघर बना रखें हैं और नियमित रूप से पूजा करते हैं. इन नियमों से जीवन को समृद्धि,
पूजाघर से जुड़े वास्तुशास्त्र के 10 महत्वपूर्ण नियम:-
पूजा घर की छत को चारो ओर से उतारकर बनाया तो यह सबसे श्रेष्ठ माना जाता है.
पूजाघर की छत को पूर्व या उत्तर की ओर ढलान देते है तो यह भी शुभकारी होगा.
पूजाघर के प्रवेश द्वार के सामने देवी-देवताओं की स्थापना नहीं की जानी चाहिए, यनि प्रवेश द्वार के बाहर से पूजाप्रवेश द्वार से पूजाघर या प्रतिमा दिखाई नहीं देना चाहिए.
पूजा घर प्रवेश द्वार के बगल साइड से बनाया जाना चाहिए.
पूजाघर में इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि देव प्रतिमा या देवी-देवताओं की फोटो एक-दूसरे के सामने नहीं होना चाहिए.
पूजाघर में भगवान की प्रतिमा या फोटो के समाने पैसे या गहनों की अलमारी नहीं रखना चाहिए.
पूजाघर में रुपए या किसी भी तरह का धन छिपाकर नहीं रखना चाहिए.
पूजाघर में देवी-देवताओं की प्रतिमा या फोटो कहीं से भी खंडित यानि टूटे फूटे न हों, अगर ऐसा है उन्हें तुरंत ही हटा देना चाहिए.
पूजाघर में अलमारी को पश्चिम या दक्षिण दिशा की दीवार से लगाकर रखा जाना चाहिए. यदि पूजा के कमरे में शोके स रखा है, तो उसे भी पश्चिम या दक्षिण दिशा में की दीवार में लगाकर रखना चाहिए.
पूजा घर में महाभारत के रथ का फोटो, विभिन्न प्राणियों, पशुपक्षियों के फोटो आदि नहीं होना चाहिए. (नोट: भारतीय वास्तु प्रचीनकाल गणतीय पद्धति से करता है. यहां इंडिया डॉटकॉम किसी भी तरह की अंधविश्वास, रूढ़ि को बढ़ावा नहीं देता है)
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