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हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए बेसन के लड्डू का भोग या मंत्र काफी नहीं है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए बेसन के लड्डू का भोग या मंत्र काफी नहीं है. बल्कि श्रीराम जाप और आरती दोनों करने भी जरूरी हैं. कोई भी पूजा आरती के बिना अधूरी है. अकसर लोग हनुमान जी (Hanuman ji) की सबसे प्रसिद्ध आरती 'आरती कीजे हनुमान लला की' गाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी की एक और आरती है जिसका नाम है 'मंगल मूरति जय जय हनुमंता'. आज का हमारा लेख इसी आरती पर है. आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि हनुमान जी की पूरी आरती (Lord Hanuman Aarti) क्या है. पढ़ते हैं
हनुमान जी की आरती
मंगल मूरति जय जय हनुमंता, मंगल-मंगल देव अनंता।
हाथ व्रज और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे।
शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन।
लाल लंगोट लाल दोऊ नयना, पर्वत सम फारत है सेना।
काल अकाल जुद्ध किलकारी, देश उजारत क्रुद्ध अपारी।
रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।
महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।
भूमि पुत्र कंचन बरसावे, राजपाट पुर देश दिवावे।
शत्रुन काट-काट महिं डारे, बंधन व्याधि विपत्ति निवारे।
आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक ते कांपै।
सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डरना।
तुम्हरे भजन सकल संसारा, दया करो सुख दृष्टि अपारा।
रामदण्ड कालहु को दण्डा, तुम्हरे परसि होत जब खण्डा।
पवन पुत्र धरती के पूता, दोऊ मिल काज करो अवधूता।
हर प्राणी शरणागत आए, चरण कमल में शीश नवाए।
रोग शोक बहु विपत्ति घराने, दुख दरिद्र बंधन प्रकटाने।
तुम तज और मेटनहारा, दोऊ तुम हो महावीर अपारा।
दारिद्र दहन ऋण त्रासा, करो रोग दुख स्वप्न विनाशा।
शत्रुन करो चरन के चेरे, तुम स्वामी हम सेवक तेरे।
विपति हरन मंगल देवा, अंगीकार करो यह सेवा।
मुद्रित भक्त विनती यह मोरी, देऊ महाधन लाख करोरी।
श्रीमंगलजी की आरती हनुमत सहितासु गाई।
होई मनोरथ सिद्ध जब अंत विष्णुपुर जाई।
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