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धर्म अध्यात्म: कलियुग में हनुमानजी के अलावा भैरव ही एकमात्र ऐसे देव हैं जिनकी पूजा तुरंत फल देती है। अगर सच्चे मन से उनकी पूजा की जाए तो वो अपने भक्तों की इच्छा पूरी करने में क्षण भर भी देर नहीं करते हैं। विशेष तौर पर यदि भैरवाष्टमी या अष्टमी के दिन तंत्र प्रयोग किए जाए या भगवान कालभैरव के मंत्रों का प्रयोग किया जाए तो निश्चित ही हर इच्छा पूरी होती है।
पुराणों में वर्णित कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा के बीच विवाद छिड़ गया कि उनमे से श्रेष्ठ कौन है? यह विवाद इतना अधिक बढ़ गया कि सभी देवता घबरा गए. उन्हें डर था कि दोनों देवताओं के बीच युद्ध ना छिड़ जाए और प्रलय ना आ जाए. सभी देवता घबराकर भगवन शिव के पास चल गए और उनसे समाधान ढूंढऩे का निवेदन किया. जिसके बाद भगवान शंकर ने एक सभा का आयोजन किया जिसमें भगवान शिव ने सभी ज्ञानी, ऋषि-मुनि, सिद्ध संत आदि और साथ में विष्णु और ब्रह्मा जी को भी आमंत्रित किया.
इस सभा में निर्णय लिया गया कि सभी देवताओं में भगवान शिव श्रेष्ठ है. इस निर्णय को सभी देवताओं समेत भगवान विष्णु ने भी स्वीकार कर लिया. ब्रह्मा ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया. वे भरी सभा में भगवान शिव का अपमान करने लगे. भगवान शंकर इस तरह से अपना अपमान सह ना सके और उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया.
Manish Sahu
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