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हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है. पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर होती है
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है. पंचांग के अनुसार गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर होती है. मान्यता के अनुसार इस दिन महाभारत, गीता और पुराणों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. इस साल गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई, दिन बुधवार को मनाई जाएगी. इस दिन गुरु का ध्यान करने और पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है.
आइए, वृंदावन के गोस्वामी महाराज प्रथमेश के अनुसार जानते हैं कि शुभ मुहुर्त, शुभ संयोग, गुरु पूर्णिमा का महत्व और विधि. साथ ही जानेंगे कि इस दिन कौन से मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
गुरु पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ- 13 जुलाई, सुबह करीब 4 बजे से
तिथि समापन- 14 जुलाई को देर रात 12 बजकर 6 मिनट पर
गुरु पूर्णिमा पर शुभ संयोग
इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन राजयोग बन रहा है. जानकारी के अनुसार इस बार पूर्णिमा पर गुरु, मंगल, बुध और शनि ग्रह के संयोग से 4 शुभ योग यानी रुचक, शश, हंस और भद्र योग बन रहे हैं.
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. जानकारी के मुताबिक महर्षि वेद व्यास को वेदों का ज्ञान भी था. हिंदू धर्म में महर्षि वेद व्यास को सात चिरंजीवियों में से एक माना जाता है यानी वे अमर हैं और आज भी जीवित हैं. धार्मिक ग्रंथों में महर्षि वेद व्यास को भगवान विष्णु का रूप बताया गया है.धर्म से जुड़ी मान्यता के अनुसार इस दिन पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से कुंडली में गुरु दोष और पितृदोष खत्म हो जाते हैं. साथ ही नौकरी, बिजनेस या करियर में लाभ मिलता है.
इस दिन क्या करें?
इस दिन सुबह जल्दी उठ कर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए या नहाने के पानी में गंगा जल छिड़क कर स्नान करना चाहिए. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए. घर के मंदिर या पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए और गंगा जल छिड़कना चाहिए. इसके बाद गुरु का स्मरण करना और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
Ritisha Jaiswal
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